जयपुर। राजस्थान के ब्यावर में गैस सिलेण्डर फटने से तबाह हुई तीन मंजिला इमारत के मलबे में आज भी दूल्हे की मां समेत कई लोग दबे हुए हैं, हालांकि बचाव दल उन्हें निकालने में लगा हुआ है। शादी समारोह से पहले कुमावत पंचायत भवन में मायरे की रस्म के दौरान हुए भीषण हादसे ने शादी की खुशियां तो मातम में बदली ही, साथ ही उस मां के सपने और खुशियां भी मलबे में दफन हो गए।
शनिवार को बचाव दल व परिजन मलबे को हटाकर दूल्हे हेमंत पटनेचा की मां को ढूंढने में लगे हुए थे, लेकिन शाम तक मां का शव नहीं निकला तो बड़े-बुजुर्गों ने हेमंत को तय शादी के फेरे लेने के लिए राजी किया। हेमंत पहले तो माना नहीं, लेकिन जब मां के सपने और खुशियों की दुहाई दी तो वे एक बुजुर्ग रिश्तेदार और दो दोस्तों के साथ जोधपुर के बिलाडा में रीतू को ब्याहने के लिए पहुंचा, वहां भी खुशी का माहौल गमशीन सा ही रहा। मात्र डेढ़-दो घंटे में हेमंत और रीतू की शादी करवाई। इस दौरान हेमंत की रुलाई फूट रही। वे अपनी मां व दूसरे परिजन को याद करके रोने लगता। यह देख उसकी जीवन संगिनी भी रोने लगती। खुशी का यह माहौल इस हादसे के कारण मातम में रहा।
शादी में ना तो बैण्डबाजे बजे और ना ही बराती-घराती नाचे। फेरों के दौरान मंगल गान भी महिलाओं ने नहीं गाए। फेरे लेने के बाद हेमंत अपनी पत्नी रीतू को लेकर ससुराल आया तो रीतू का भाई अपनी बहन को वापस पीहर ले आया। हेमंत फिर हादसा स्थल पर पहुंचा, जहां अभी भी उसकी मां व दूसरे परिजन व लोग मलबे में दबे हुए हैं। हर कोई इस हादसे को याद करके रोने लगता है।