नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने निर्भया के मरने से पहले दिए गए इकबालिया बयान और पीडिता के साथ जानलेवा चोट पहुंचाने के कृत्यों को ध्यान में रखते हुए मुकेश, अक्षय, पवन और विनय शर्मा को फांसी की सजा बरकरार रखी है। निर्भया के बयानों से दरिंदे धरे तो गए, लेकिन दरिंदों को उनके कृत्य की सजा दिलाने के लिए एक पुलिस अफसर ने भी कड़ी मेहनत की। 16 दिसम्बर, 2012 को निर्भया के साथ हुई दरिदंगी के बाद दिल्ली पुलिस की अफसर छाया शर्मा ने आरोपियों की धरपकड़ के लिए जी जान लगा दी। निर्भया आरोपियों को पहचानती नहीं थी और ना ही उसे व उसके दोस्त ने बस के नम्बर देखे। वे बस की पहचान के तौर पर सिर्फ बस में लगे पीले पर्दों व लाल सीटों का हवाला दे रहे थे। जबकि दिल्ली में हजारों बसें दौड़ती है। जहां वारदात होना बताया, वहां के सीसीटीवी फुटेज खंगाले गए तो भी कोई खास सुराग नहींrapiest-nirbhya-delhi लगा। एक सीसीटीवी फुटेज में एक बस संदिग्ध लगी, जिसमें चार-पांच लोग थे। उस बस के पीछे यादव लिखा था, नम्बर नहीं आए। लाल सीटें, पीले पर्दे व यादव नाम की बस के लिए करीब एक सौ पुलिसकर्मियों की टीम गठित करके उन्हें लगा दिया। लगातार 18 घंटे काम करने के दौरान उस बस का पता चला तो उन दरिंदों तक पुलिस तत्काल ही पहुंच गई, जिन्होंने निर्भया के साथ ज्यादती की थी। आरोपी राम सिंह, मुकेश, अक्षय, पवन और विनय शर्मा पकड़े गए। दो-तीन दिन बाद अन्य आरोपियों को पकड़ लिया गया। उधर, इस घटना के मीडिया में आते ही पूरे देश में दरिंदों के खिलाफ और निर्भया की सलामती के लिए आवाजें उठने लगी। कैण्डल मार्च, धरने-प्रदर्शन होने लगे। पुलिस ने आरोपियों को पकड़ लिया, लेकिन निर्भया को बचाया नहीं जा सका। घटना के बाद से निर्भया दिल्ली और सिंगापुर में इलाज के लिए भर्ती रही। अपने इकबालिया बयान में आरोपियों के चेहरे, उसके साथ हुई दरिदंगी, मारपीट के बारे में बताया। खासकर उस नाबालिग लड़के के बारे में बयान दिया, जिसने उस पर जानलेवा चोटें दी और शारीरिक यातना भी। निर्भया ने बयान दिया था कि उसके साथ दरिदंगी करने वालों को बख्शना मत। उन्हें फांसी पर चढ़ाना। दो मजिस्ट्रेट व चिकित्सकों को भी इसी तरह का बयान दिया। दिल्ली पुलिस ने मात्र 18 दिनों में अनुसंधान पूरा करके आरोपियों के खिलाफ चालान पेश किया। फास्ट्र-ट्रेक कोर्ट ने चार को फांसी व अन्य को उम्रकैद की सजा सुनाई। सुप्रीम कोर्ट ने इसे बरकरार रखा। निर्भया के बयानों ने दरिंदों को उनके कृत्यों के लिए अंजाम तक पहुंचाया।
– यह है निर्भया केस
निर्भया और उसका दोस्त 16 दिसंबर, 2012 को नई दिल्ली में एक बस में सफर कर रहे थे। बस में सवार छहों आरोपियों ने बस में अगवा कर लिया और दोस्त के गंभीर मारपीट करके बंधक बना लिया। निर्भया के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया। आरोपियों ने निर्भया के साथ गंभीर मारपीट की। फिर दोनों को चलती बस से फैंक गए। घटना के उजागर होते ही बड़ा बवाल हो गया। दिल्ली समेत पूरे देश में लोग आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए उठ खड़े हुए। घटना के दो दिन बाद पुलिस ने राम सिंह, मुकेश, विनय शर्मा व पवन गुप्ता को गिरफ्तार किया। कुछ दिन बाद अक्षय ठाकुर व एक नाबालिग आरोपी को भी पकड़ा। इस नाबालिग ने युवती के साथ गंभीर मारपीट की थी। इलाज के दौरान 29 दिसम्बर को सिंगापुर में निर्भया की मौत हो गई। मामले की सुनवाई के बाद दिल्ली की फास्ट्र ट्रेक कोर्ट ने 10 सितंबर, 2013 को मुकेश, विनय, पवन और अक्षय को फांसी की सजा सुनाई व नाबालिग को छोड़कर शेष को उम्रकैद की सजा दी। हाईकोर्ट और अब सुप्रीम कोर्ट ने भी फास्ट्रट्रेक कोर्ट के आदेश को सही ठहराते हुए बरकरार रखा।

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