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नयी दिल्ली। राष्ट्रीय राजधानी में बाल तस्करी के शिकार बच्चों को मुक्त कराने के प्रयासों में यहां राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों के स्थानीय आयुक्तों (भवनों) की भूमिका तय करने की तैयारी है। इस संदर्भ में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) जल्द ही दिशानिर्देश जारी करने जा रहा है जिसमें ‘‘स्थानीय आयुक्तों’’ के लिए यह अनिवार्य होगा कि वे बाल तस्करी के मामलों में पुलिस और पीड़ित परिवारों की मदद करें। एनसीपीसीआर ने अगस्त महीने में राज्य/केंद्रशासित प्रदेशों के भवनों के स्थानीय आयुक्तों और गैर सरकारी संगठनों के साथ बैठक की थी और इसमें दिल्ली में राज्य भवनों की जवाबदेही और भूमिका तय करने का फैसला किया गया था। आयोग के सदस्य (पॉक्सो एवं किशोर न्याय कानून) यशवंत जैन ने ‘भाषा’ को बताया, ‘‘देश के अलग अलग राज्यों से तस्करी के जरिए दिल्ली में बच्चों को लाया जाता है। हमने इन बच्चों को मुक्त कराने के प्रयास में पुलिस और पीड़ित परिवारों को पेश आ रही दिक्कतों को महसूस किया। बैठक में यह राय बनी कि राज्यों एवं केंद्रशासित भवनों की मदद ली जा सकती है। इसी संदर्भ में हम दिशानिर्देश तैयार कर रहे हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘हम 13 दिसंबर को दिशा-निर्देश तैयार कर लेंगे और इसके बाद संबंधित पक्षों से राय लेंगे। इस महीने के आखिर तक इन दिशा-निर्देश जारी किए जाने की उम्मीद है।’’ जैन ने कहा, ‘‘दिशा-निर्देश में प्रावधान किया जा रहा है कि दिल्ली स्थित सभी राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के भवन अपने यहां एक अधिकारी की नियुक्त करेंगे जो बाल अधिकार से जुड़े मामलों को देखेगा। इसके अलावा ये स्थानीय आयुक्त (भवन) बाल तस्करी के मामलों में अपने राज्यों की पुलिस एवं पीड़ित परिवारों की मदद करेंगे।’’ उन्होंने कहा, ‘‘दिशानिर्देश का पालन नहीं करने वाले स्थानीय आयुक्त (भवन) के खिलाफ कानूनी कार्रवाई का भी प्रावधान किया जाएगा।’’ दिशानिर्देश के शुरुआती मसौदे के अनुसार बाल तस्करी के शिकार बच्चों को मुक्त कराने के लिए दिल्ली आने वाली पुलिस टीम और पीड़ित परिवारों के लिए संबंधित राज्यों के स्थानीय आयुक्त (भवन)खाने और ठहरने का इंतजाम करेंगे। इन भवनों में चाइल्ड हेल्पलाइन नंबर 1098 एवं बाल तस्करी पर काम करने वाले एनजीओ की सूची लगानी होगी, तस्करी के शिकार बच्चे-बच्चियों की मदद के लिए ट्रांसलेटर भेजा जाएगा, पुलिस टीम, परिवार एवं बच्चों को वापस भेजने के लिए रेलवे में वीवीआईपी कोटे से आरक्षण की व्यवस्था की जाएगी तथा पीड़ित के राज्य द्वारा उसे उचित मुआवजा दिया जाएगा।

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