– कर्ज माफी समेत अन्य मांगों को लेकर सीकर में हजारों किसानों का महापड़ाव
जयपुर। यूपी समेत दूसरे राज्यों में किसानों की कर्ज माफी की तरह राजस्थान में भी इसे लागू करवाने के लिए किसान संगठन काफी समय से आंदोलित है। ऐसा कोई जिला या तहसील नहीं है, जिसमें कर्जे माफी, फसलें समर्थन मूल्य पर खरीदने, सस्ती दरों पर किसानों को ऋण, रियायती दर पर बीज-कीटनाशक उपलब्ध कराने, स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने की मांगों को लेकर किसान संगठन आंदोलन चला रहे हैं। धीरे-धीरे यह आंदोलन अब प्रदेश के किसानों की आवाज बनता जा रहा है। खासकर शेखावाटी में किसान आंदोलन चरम पर है। अब तीन दिन से किसान सीकर में महापड़ाव डाले हुए है। करीब आठ-दस हजार किसान दिन रात महापडाव में डेरा डाले हुए हैं। इसमें सीकर, चुरु, झुंझुनूं, नागौर, बीकानेर के किसान शामिल हो रहे हैं।
आज मंगलवार को सीकर में रैली निकाली है किसानों ने। हजारों लोग सड़क पर है, लेकिन किसान शांतिपूर्ण तरीके से आंदोलन कर रहे हैं। सात सितम्बर को किसान संगठन अखिल भारतीय किसान सभा ने सीकर बंद का आह्वान किया है। अखिल भारतीय किसान सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमराराम के नेतृत्व में चल रहे महापड़ाव की गूंज अब राजस्थान के दूसरे जिलों में सुनाई देनी लगी है। वहां के किसान और किसान संगठन भी किसानों की इन मांगों के पूरे नहीं होने पर गुस्से में है। वे आंदोलन को समर्थन दे रहे हैं। कुछ महीने पहले भी सरकार की ओर से बढ़ाई बिजली दरों को लेकर भी पूरे प्रदेश में इसी तरह के किसान आंदोलन चले थे। तब सरकार ने घबराकर किसानों की बिजली दरें वापस ली। अब फिर से वैसा ही आंदोलन फिर से शुरु हुआ है। सीकर से शुरु महापड़ाव अब दूसरे जिलों में भी फैलने लगा है। लगता है किसान कर्जे माफी समेत दूसरी मांगे मनवाकर रहेंगे। किसान भी यूपी की तर्ज पर कर्ज माफी चाहते हैं, साथ ही दूसरी वे तमाम रियायतें जो स्वामीनाथन आयोग में कही गई है। इसे सरकार ने ही बनाया और सरकार ही अब इसे लागू नहीं करके किसानों के साथ विश्वासघात कर रही है।
सीकर का महापड़ाव भी किसानों का गुस्सा है, जो अब पूरे प्रदेश में धीरे-धीरे फैल रहा है। अगर समय पर किसानों की मांगों पर फैसला नहीं हुआ, यह आंदोलन तेजी से फैलेगा। क्योंकि समर्थन मूल्य घोषित नहीं होने, मौसम से फसलों को नुकसान आदि से किसान पीडित है। सरकार भी उचित मुआवजा नहीं दे रही है। ऐसे में प्रदेश का किसान अब पूरे आंदोलन के मूड में है। वैसे भी प्रदेश की तरह दूसरे राज्यों में भी किसान आंदोलित है।
– सरकार में चिंता
सीकर के महापड़ाव में हजारों किसानों की मौजूदगी और दिनोंदिन बढ़ते आंदोलन के चलते राजस्थान सरकार में चिंता होने लगी है। सरकार को भय है कि बिजली दरों के मामले में जिस तरह से किसान सड़कों पर उतर आए थे, वैसा ही आंदोलन अब शुरु ना हो जाए। इसलिए महापडाव में शामिल किसान नेताओं और उनकी मांगों को लेकर सरकार ने सोचना शुरु कर दिया है। मंगलवार को कृषि मंत्री प्रभुलाल सैनी, उर्जा मंत्री पुष्पेन्द्र सिंह ने किसान प्रतिनिधिमण्डल से वार्ता करके उनकी मांगों को सुना और सरकार से जल्द समाधान का आश्वासन दिया है।