– राकेश कुमार शर्मा
जयपुर। जपा के वरिष्ठ विधायक और पूर्व मंत्री घनश्याम तिवाड़ी का अपनी ही सरकार की घेराबंदी करते हुए आग उगलना जारी रखे हुए हैं। पण्डि़त दीनदयाल उपाध्याय की जयंती के मौके पर दीनदयाल वाहिनी के बैनर तले बिड़ला सभागार में आयोजित द्वितीय प्रदेश पदाधिकारी सम्मेलन व संगठन पर्व संकल्प दिवस कार्यक्रम में तिवाड़ी ने मुख्यमंत्री का नाम लिए बिना सरकार को खूब कोसा। यहां तक भी कह दिया इस सरकार ने पार्टी का आंतरिक लोकतंत्र खत्म कर दिया है। प्रदेश भर से आए हजारों प्रतिनिधियों की मौजूदगी में तिवाड़ी ने कहा कि इस सरकार में मंत्रियों का हाल स्टाम्प जैसा है। सब के सब ‘ठप्पा मंत्रीÓ हैं। जो आका के आदेश पर सिर्फ ठप्पा लगा रहे हैं। उन्हें सरकार और केबिनेट में कोई पावर नहीं दे रखा है। मंत्री ही नहीं विधायक भी डरे-सहमे रहते हैं। वे भी झिड़कियों और धमकियों से इतने भयभीत हैं कि किसी को कुछ बताने के बजाय मौन रहने में ही अपनी भलाई समझते हैं।
तिवाड़ी ने यह भी आरोप लगाया कि राजस्थान के मंत्रियों के ऊपर सलाहकार के रूप में 38 लोगों की एक सुपर कैबिनेट भी है। यह सुपर कैबिनेट ही सरकार को चला रही है। कैबिनेट मंत्री तो सिर्फ ठप्पा मंत्री बने हुए हैं। इन सुपर कैबिनेट के नाम पर करोड़ों रूपयों का भुगतान सरकार कर रही है। जिस कार्यकर्ता के दम पर पार्टी सत्ता में है, उन कार्यकर्ताओं को पूछा नहीं जा रहा है। आयोग और बोर्डों में ऐसे बाहरी लोगों की नियुक्ति कर दी गई है, जिन्हें राजस्थान के पूरे जिले या नक्शे का भी ज्ञान नहीं है। ऐसे लोग प्रदेश का क्या खाक भला करेंगे। प्रशासनिक अमला ठप पड़ा है और पूरी तरह से भ्रष्टाचार में सक्रिय है।
तिवाड़ी ने कहा कि पार्टी में लगातार कार्यकर्ताओं की उपेक्षा की जा रही है। कांग्रेस में सारी उम्र ‘नौकरीÓ करने यानी माल काटने वाले लोग अब भी मलाई खा रहे हैं और अपने कार्यकर्ता ‘खुरचनÓ के लायक नहीं है। कार्यकर्ता क्या एमएलए और मंत्री तक कहने लगे हैं कि हमारी सुनवाई नहीं होती। सुनने को तो यहां तक है कि सुनवाई छोड़ो सीएम मिलती तक नहीं है। कांग्रेस के लोग यहां आकर आनंद लेने लगे हैं और यहां के लोग कोमा में हैं। प्रदेश में जिन लोगों ने अपना खून-पसीना बहाकर पार्टी को खड़ा किया था वे ही आज अपने आपको ठगा सा महसूस कर रहे हैं। तिवाड़ी ने पार्टी नेतृत्व पर निशाना साधते हुए कहा कि चुनावी घोषणा पत्र में गोशालाओं को 9 माह का अनुदान देने का वादा किया था, मगर सत्ता में आने के बाद पिछली सरकार द्वारा दिए जा रहे अनुदान को भी बंद कर दिया गया। जयपुर में ही हजारों गायों की मौत हुई, लेकिन कोई देखने और पूछने वाला नहीं। अकेले जयपुर में ही 300 मंदिर हटाए गए। सरकार की कार्यप्रणाली से नाराज होकर विहिप, संघ और मजदूर संघ जैसे राष्ट्रवादी संगठनों को विरोध में सडकों पर उतरना पडा।विधायक तिवाड़ी ने यह भी कहा कि एक साल में छह महीने बाद विधानसभा सत्र बुलाते हैं और तीन घंटे में कार्यवाही कर समाप्त कर देते हैं। फि र गई छह महीने की यानी एक साल में महज 3 घंटे विधानसभा सत्र का संचालन। ऐसा आजादी के बाद से अब तक नहीं हुआ। सत्तापक्ष में विधानसभा सत्र के दौरान ऐसा लगता है जैसे कफ्र्यू लगा हुआ हो। ये कैसा लोकतंत्र है जिसमें बहस करने की ही स्वतंत्रता नहीं रही। तिवाड़ी ने कहा कि विधायक दल का मतलब मौन सभा हो गया है, इस पर चुप रहने वालों को इतिहास कभी माफ नहीं करेगा।
आंतरिक लोकतंत्र खत्म
विधायक तिवाड़ी ने कहा कि पार्टी में आंतरिक लोकतंत्र समाप्त हो गया है। विधायक का विश्वास ही विश्वास मत माना जा रहा है, जबकि ऐसा नहीं है। पार्टी के आम कार्यकर्ताओं का विश्वास अहमियत रखता है, जिसे सरकार ने खो दिया है। पार्टी में उम्मीदवारों के चयन की बात हो या चाहे पदाधिकारियों के चयन की, हर जगह चापलूसों को ही तवज्जो दी जा रही है। यहां योग्यता या काबिलियत को गौण कर दिया गया है। कार्यकर्ताओं की जीवन भर की सेवा और तपस्या का कोई मोल नहीं रहा। संगठन में ऐसे लोग हावी है जिन्हें न विचारधारा का ज्ञान है और जिनका अतीत भी संदिग्ध है। जब नींव से जुड़े पत्थरों को उखाड़कर बाहर फेंका जा रहा हो तो क्या इमारत बुलंद रह पाएगी? दीनदयाल वाहिनी का गठन पार्टी में आंतरिक लोकतंत्र की स्थापना और कार्यकर्ता को सम्मान दिलाने के लिए किया गया है। उन्होंने राजमहल पैलेस प्रकरण सहित विभिन्न मामलों पर सरकार को घेरा और कहा कि सरकार के राज करने का तरीका सहीं नहीं है।
संघर्ष के लिए तैयार रहना होगा
विधायक घनश्याम तिवाड़ी ने संकेतों में राजनीतिक दल के गठन के बारे इशारा करते हुए कहा कि आने वाले समय के लिए हमें मजबूती से तैयार रहना होगा। दीनदयाल वाहिनी की बढ़ती शक्ति से सरकार की हालत खिसियानी बिल्ली खम्भा नौंचने जैसी हो गई है। इसलिए दबाव बनाने के लिए दमनात्मक कार्रवाई का सहारा ले सकती है। सरकार द्वारा वाहिनी के कार्यकर्ताओं को भयभीत किया जा रहा है। मगर हम वो लोग हैं जिन्होंने आपातकाल का दंश झेला था, हम किसी से डरने वाले नहीं। उन्होंने कहा कि अभी राजनीतिक निर्णय करने का समय नहीं आया है। विजय दशमी से ही लोकसंपर्क अभियान शुरू करेंगे। इसके तहत प्रदेश की 200 विधानसभा क्षेत्रों में जाकर कम से कम 1000 स्थानों पर लोक संपर्क कर लोगों से उनके विचार जानेंगे। प्रदेश की 160 विधानसभा में हम अपने पांव अंगद की तरह जमा चुके हैं, अब बारी बाकी 40 विधानसभा में भी पांव जमाने की है। तिवाड़ी ने कहा कि हम आगामी लक्ष्य के रूप में 50 हजार एकात्म समिति का गठन कर पण्डित दीनदयाल उपाध्याय के एकात्म मानववाद के सिद्धांत को प्रतिस्थापित करेंगे। हर विधानसभा क्षेत्र के दस-दस गांवों का दौरा करके कार्पोरेट सरकार की मुखिया के खिलाफ अभियान चलाएंगे। हालांकि माना जा रहा था कि दीनदयाल उपाध्याय जयंती के मौके पर घनश्याम तिवाड़ी अलग पार्टी बनाने की घोषणा कर देंगे, लेकिन उन्होंने श्राद्ध पक्ष की बात कह कर फि लहाल इसे रोक दिया।
हालांकि दीनदयाल वाहिनी के अग्रिम संगठन के रूप में किसान वाहिनी और विचार वाहिनी के गठन की घोषणा उन्होंने कर दी। इसके साथ ही यह भी कहा कि प्रदेशभर में 25 हजार बूथस्तरीय समितियां बनने के बाद वे अलग पार्टी की औपचारिक घोषणा कर सकते है। तब तक वे पूरे प्रदेश में दौरे करेंगे और मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की तानाशाही और भ्रष्ट कार्यप्रणाली के बारे में लोगों को बताएंगे।
कार्पोरेट जगत का चारागाह बना
सम्मेलन में दीनदयाल वाहिनी के सचिव अखिलेश तिवाड़ी ने कहा कि राजस्थआन में राजनीतिक त्रासदी का दौर चल रहा है। वो संगठन जिसे एक विचारधारा के ऊपर काम करना चाहिए था, उसे एक व्यक्ति ने हाईजेक कर लिया है। यह त्रासदी नहीं तो क्या है? उन्होंने आरोप लगाया कि राजस्थान, मध्यप्रदेश, गुजरात, महाराष्ट आदि राज्यों के कुछ भ्रष्ट नेताओं ने राजस्थान को कार्पोरेट जगत का चारागाह बना दिया। उधर, दीनदयाल जयंती के मौके पर प्रदेश भर में वाहिनी की तरफ से रक्तदान शिविर लगाए गए, जिनमें करीब दस हजार से लोगों ने रक्तदान किया।