samel phool book
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जयपुर। पिंकसिटी प्रेस क्लब में पत्रकार, लेखक महेष शर्मा के सद्य प्रकाषित कहानी संग्रह ‘‘सेमल-फूल‘‘ के लोकार्पण में बोलते हुए वरिष्ठ आलोचक डाॅ. दुर्गा प्रसाद अग्रवाल ने कहा कि इस संग्रह की सभी कहानियां लेखक ने अपने जीवन अनुभव और अपने आस-पास घटित घटनाओं से प्रेरित होकर लिखी है। सहजता और साधारणता इन कहानियों की सबसे बडी खूबसूरती है। कहानियों के पात्र पाठकों को अपने से महसूस होंगे। उन्होंने यह भी कहा कि लेखक की ये कहानियां सहित्य की किसी एक विद्या में रहकर नही रची गई है, बल्कि यह कहानियां परम्परागत कथा विद्या को लांघते हुए अन्य विद्याओं में हस्तक्षेप करती है।

इस अवसर पर मुख्य अतिथि वरिष्ठ कवि नन्द भारद्वाज ने कहा कि कथाओं का अतिक्रमण ही इन कहानियों की सबसे बड़ी विषेषता है। लेखक ने कही भी बनावट और बुनावट में जटिलता नही की है। बल्कि समाज के अन्तद्वंद प्रकट करने में ये कहानियां सहायक सिद्ध होती है। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ साहित्यकार डाॅ. सत्यनारायण का कहना था कि आज के दौर के बदलते हुए समाज जीवनमूल्य और समय को इस संग्रह की कहानियों में देखा जा सकता है। इन कहानियों में गहरी मानवीय संवेदनाएं है। चूंकि लेखक व्यंगकार भी है। अतः इन कहानियों में कथानक का चित्रण कोरा ब्यौरा मात्र नही बल्कि समाज की सच्चाई को रेखांकित करने का काम करती है।

विषिष्ट अतिथि वरिष्ठ पत्रकार श्याम आचार्य ने कहा कि लेखक ने बिना संवेदनाओं के अतिरेक को बड़ी सहजता से कहानियों को रचा है। इनके पात्र लेखक के जीवन के हिस्से रहे है। उन्होनें कहा कि लेखक ने अपनी कहानियों में देषज लोकोक्तियां एवं मुहावरों का प्रयोग करते हुए घटनाओं का मर्मस्पर्षी वर्णन किया है। लेखक महेष शर्मा ने अपनी कथा प्रक्रिया को स्पष्ट करते हुए कहा कि उन्हें बचपन से ही घर परिवार के बड़े बुजुर्गो एवं समाज में उस दौर में प्रचलित लोक परम्पराओं से कहानी लिखनें की प्रेरणा मिली। सेमल फूल को परिभाषित करते हुए उन्होनें कहा कि जैसे सेमल में पत्ते झड़ जाने पर फूल आते है और फल में से रूई निकलती है। वैसे ही हमारा जीवन है जिसमें कांटे भी है, फूल भी है और रूई सा नरम अहसाह भी है। इर्द-गिर्द घटनाओं को कहानियों का विषय बनाया है। पिंकसिटी प्रेस क्लब महासचिव मुकेष चैधरी ने अन्त में धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम का संचालन ईष्वरदत्त माथुर ने किया।

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