नई दिल्ली. मणिपुर में महिलाओं को निर्वस्त्र घुमाए जाने के केस में मंगलवार यानी 1 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस की जांच को सुस्त बताया। कोर्ट ने कहा कि राज्य में कानून-व्यवस्था बिल्कुल ध्वस्त हो चुकी है। लाइव लॉ के मुताबिक कोर्ट ने हैरानी जताई कि राज्य की जातीय हिंसा में लगभग 3 महीने तक FIR ही दर्ज नहीं की गई। बाद में जब 6000 से ज्यादा FIR हुईं तो इनमें 7 गिरफ्तारियां की गईं। इस पर केंद्र ने बताया कि 7 तो केवल वायरल वीडियो मामले में की गई हैं। अभी तक कुल 250 लोगों को अरेस्ट किया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर DGP को कोर्ट में हाजिर होकर इन सभी सवालों का जवाब देने का निर्देश दिया है। FIR में देरी पर केंद्र ने कोर्ट से कहा कि मणिपुर में हालात बेहद खराब हैं। चीफ जस्टिस चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच मामले की सुनवाई कर रही है। पिटीशन में पीड़ित महिलाओं की पहचान जाहिर नहीं की गई है। उन्हें X और Y नाम से संबोधित किया गया है। कुकी महिलाओं से रेप और हत्या के मामले में याचिकाकर्ता की ओर से सीनियर एडवोकेट वृंदा ग्रोवर ने कहा कि यह रिपोर्ट कानून के खिलाफ है। इसमें पीड़ित महिलाओं के नाम हैं। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को तुरंत निर्देश दिया कि इस रिपोर्ट को किसी से शेयर मत करना। मीडिया को मत देना। नहीं तो पीड़ितों के नाम सामने आ जाएंगे। कोर्ट बोला कि हम अपनी कॉपी में करेक्शन कर लेंगे। इस पर केंद्र ने कहा कि हमने इसे किसी से शेयर नहीं किया। हमारे पास हमारी कॉपी है और एक कॉपी सिर्फ बेंच के सामने रखी गई है। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार सुबह केंद्र को आदेश दिया कि सुनवाई पूरी होने तक CBI वायरल वीडियो केस की पीड़िताओं के बयान न ले। बेंच ने कहा कि एजेंसी आज की सुनवाई पूरी होने का इंतजार करे। सोमवार को सुनवाई के दौरान एक याचिकाकर्ता ने सुझाव दिया था कि हाई पावर कमेटी मामले की जांच करे, जिसमें महिलाएं भी हों।

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