अमेरिका में लगभग 47 वर्ष से चल रहा बच्चों का शैक्षणिक टीवी शो- सीसेम स्ट्रीट कई मामलों में गर्व कर सकता है। शो में इस माह नए पात्र जूलिया को छह वर्ष की तैयारी के बाद पेश किया गया। पहले जूलिया को वेब पर एक कार्टून कैरेक्टर के रूप में प्रस्तुत करने की योजना थी लेकिन १८ माह तक डिजिटल स्टोरी बुक और एनिमेशन में परीक्षण के तौर पर दिखाने के बाद उसे कठपुतली बनाकर शो में शामिल किया है। टेस्ट रन में उसे बहुत पसंद किया गया। इधर, बच्चों के टीवी देखने की आदत में आ रहे परिवर्तन के कारण शो को कठिनाइयों से जूझना पड़ रहा है. शो का निर्माण करने वाले संगठन सीसेम वर्कशॉप ने 250 विशेषज्ञों और समूहों की सलाह के बाद जूलिया को आकार दिया है। वर्कशॉप हर वर्षशो के लिए 30 पेज का पाठ्यक्रम तैयार करती है। जूलिया मानसिक बीमारी ऑटिज्म से पीड़ित है। उस पर कई दस्तावेज लिखे गए। ऑटिज्म पीड़ितों के लिए जूलिया का आना महत्वपूर्ण घटनाक्रम है। टीवी पर इस तरह के बच्चेबिरले ही देखे जाते हैें। जूलिया को पेश करना बड़ी चुनौती रहा पर सीसेम वर्कशॉप इससे कहीं अधिक कठिन चुनौती का सामना कर रहा है। बच्चों के टीवी देखने की आदतों में परिवर्तन के कारण आमदनी के पुराने साधन सिमटते जा रहे हैं। सीसेम स्ट्रीट को 10नवंबर, 1969 से अमेरिका के सार्वजनिक टीवी पब्लिक ब्रॉडकास्टिंग सर्विस (पीबीएस) पर दिखाया जाता है। अस्तित्व बचाने के लिए शो ने 2016 में एचबीओ से करार किया है। अब उसे देखने का पैसा देना पड़ता है। सीसेम स्ट्रीट शो किसी न किसी रूप में 150 देशों में प्रसारित किया जा रहा है। शो ने इजरायली टीवी के लिए अरब कठपुतली पेश की है। दक्षिण अफ्रीका, नाईजीरिया के लिए एचआईवी बीमारी से प्रभावित कठपुतली बनाई है। अफगानिस्तान में टीवी देखने वाले 80% बच्चे और उनके 70% अभिभावक बगीचा-ए- सिमसिम (सीसेम गार्डन) शो देखते हैं। २०१६ में इस पर लड़कियों की शक्ति के प्रतीक पात्र जरी को पेश किया गया। जोर्डन, लेबनान, इराक और सीरिया में शरणार्थी बच्चों को शैक्षणिक और सामाजिक सहायता देने के सीसेम के प्रस्ताव को मेकआर्थर फाउंडेशन के दस करोड़ डॉलर की इनामी प्रतियोगिता के फाइनल में पहुंचने वाले ८ संगठनों में शामिल किया गया है। सीसेम स्ट्रीट के पात्रों और आईबीएम वाटसन कंप्यूटर द्वारा मिलकर बच्चों को स्कूलों में पढ़ाने की योजना पर काम चल रहा है। सीसेम वर्कशॉप के मानवीय कार्यक्रमों की प्रभारी शेरी वेस्टिन कहती हैं, ‘हम बांग्लादेश के गांवों में रिक्शे पर टीवी लेकर जाते हैं ताकि बच्चों को सकारात्मक और अच्छी शिक्षा दी जा सके। वे बताती हैं, बच्चे उन कार्यक्रमों पर सबसे अधिक अनुकूल प्रतिक्रिया देते हैं जो बचपन की तकलीफों को कम करते हैं। सीसेम वर्कशॉप ने पिछले वर्ष अपनी विदेशी गतिविधियों का विस्तार करने के लिए 142 करोड़ रुपए से अधिक खर्च किए हैं। उसने सरकार, निजी कंपनियों और संस्थाओं से पैसा जुटाया है। अफगानिस्तान के लिए अमेरिकी विदेश विभाग ने पैसा दिया है। विदेशों में सीसेम की स्थिति बेहतर है लेकिन, अमेरिका में उसके पैरों तले जमीन खिसक रही है। अब बहुत कम बच्चे सीसेम स्ट्रीट देखते हैं जबकि पहले उनके माता-पिता शनिवार की रात को एक घंटे का शो देखते थे। ना ही वे डीवीडी पर एपिसोड खरीदते हैं। अब वे इंटरनेट पर मनपसंद क्लिप हासिल कर सकते हैं। सीसेम के सीईओ जेफ डन कहते हैं, बच्चेबहुत बदल गए हैं। कमाई के तरीकों में भी परिवर्तन आया है। इस स्थिति को देखते हुए सीसेम ने प्रसारण का समय घटाकर आधा घंटा कर दिया है। उसने 2016 में स्टूडियो का निर्माण किया जो केवल इंटरनेट के लिए वीडियो बनाता है। 19 मार्च के बाद से जूलिया की एल्मो के साथ खेलने की क्लिप को यूट्यूब पर पांच लाख से अधिक व्यू मिले हैं। वैसे, बच्चों पर केन्द्रित अन्य चैनलों जैसे Ryan’sToyReview की एक क्लिप को उसी अवधि में एक करोड़ 50 लाख से अधिक व्यूमिले थे। क्लिप में एक छोटा बच्चा खिलौनों से खेल रहा है। कॉमन सेन्स मीडिया के एडिटर इन चीफ जिल मर्फी कहते हैं, “सीसेम के वीडियो बच्चों के हिसाब से धीमी गति के हैं। वैसे यह बहुत सकारात्मक है। इससे बच्चेधीरज रखना सीखते हैं’। 2015 में डन ने एचबीओ से करार किया जिसमें अगले पांच वर्ष तक शो के निर्माण की पूरी लागत शामिल है। सवाल है, तेज रफ्तार और हिंसक एंटरटेनमेंट कार्यक्रम के लिए मशहूर केबल चैनल बच्चों का ऐसा शो क्यों दिखाना चाहता है जिसे अधिकतर लोग मुफ्त देख सकते हैं। क्योंकि नेटफ्लिक्स और अमेजन प्राइम बच्चों के शो दिखाने लगे हैं और एचबीओ पैरेंट्स का ध्यान खींचता है। 130 करोड़ रुपए सालाना के करार से एचबीओ को नौ माह के लिए नए एपीसोड दिखाने का अधिकार मिलेगा। इसके बाद पीबीएस शो दिखा सकेगा जैसा कि वह लगभग पिछले पचास वर्ष से कर रहा है। सीसेम के सीओओ यंगवुड कहते हैं,”एचबीओ करार से हमें कुछ नया करने के लिए पांच वर्ष का समय मिल जाएगा। सीसेम के अधिकारियों का अनुमान है, परिवर्तन के बावजूद उनके पीबीएस के दर्शक खत्म नहीं होंगे। उनका अनुमान सही निकला है, पीबीएस पर रेटिंग 2015 की तुलना में 2016 में 12% अधिक रही।