triple talak, ramnath Kovind

delhi.उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक, 2019 को राज्यसभा द्वारा पारित किए जाने की सराहना करते हुए कहा कि इसका उद्देश्य महिलाओं को न्याय सुनिश्चित करना है।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि विधेयक पारित होना भारत के विधायी इतिहास में एक महान क्षण है। यह एक महत्वपूर्ण सामाजिक सुधार विधेयक है जो मुस्लिम महिलाओं को न्याय सुनिश्चित करेगा। नई दिल्ली में जानकी देवी मेमोरियल कॉलेज के स्वर्ण जयंती समारोह को संबोधित करते हुए नायडू ने कहा कि लोकतंत्र, धर्मनिरपेक्षता और समानता जैसे सिद्धांतों वाले देश में यह कदम पहले ही उठाया जाना चाहिए था।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि महिलाओं की क्षमताओं में निवेश आर्थिक प्रगति को तेज करने के लिए जरूरी है। महिलाओं की शिक्षा, गरीबी को कम करने में सहायता प्रदान करती है तथा सतत विकास को बढ़ावा देती है। महिलाओं के ज्ञान और जागरूकता से समाज पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। नायडू ने कहा कि भारत जैसा देश शिक्षा तथा महिलाओं के सशक्तिकरण को नजरअंदाज नहीं कर सकता। विशेषकर ऐसे स्थिति में जब देश 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनना चाहता है।
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की रिपोर्ट को उद्धृत करते हुए श्री नायडू ने कहा कि पुरुषों के समान महिलाओं की कार्यबल में हिस्सेदारी से भारत की जीडीपी में 27 प्रतिशत की बढ़ोतरी हो सकती है। यदि 50 प्रतिशत कुशल महिलाएं कार्यबल में शामिल होती हैं, तो विकास दर 1.5 प्रतिशत बढ़कर 9 प्रतिशत प्रति वर्ष हो सकता है। महिलाओं को श्रम बल में शामिल किए जाने की आवश्यकता है।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि खुशहाल परिवार और स्वस्थ समाज महिलाओं की सक्रिय भागीदारी के बिना संभव नहीं है। शिक्षा वह आधारशिला है जिसपर किसी देश की प्रगति निर्भर होती है। हमारे युवाओं को गुणवत्तापूर्ण और किफायती शिक्षा उपलब्ध कराने की आवश्यकता है। शिक्षा की सहायता से जनसांख्यिकीय लाभांश को राष्ट्र के समावेशी विकास के लिए उपयोग किया जा सकता है।

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