नई दिल्ली. विश्व बाघ दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज नई दिल्ली में अपने आवास पर बाघों के अखिल भारतीय अनुमान-2018 के चौथे चक्र के परिणाम जारी किए। सर्वेक्षण के अनुसार 2018 में भारत में बाघों की संख्या बढ़कर 2967 हो गई। इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने इसे भारत के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि बताया और बाघों के संरक्षण की दिशा में भारत की प्रतिबद्धता को दोहराया। प्रधानमंत्री ने इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए कार्य कर रहे विभिन्न हितधारकों की गति और समर्पण की सराहना की। उन्होंने इसे संकल्प से सिद्धि का एक उत्तम उदाहरण बताया। उन्होंने कहा कि भारत की जनता जब एक बार कुछ करने की ठान लेती है, तो कोई भी ताकत उसे वांछित परिणाम हासिल करने से रोक नहीं सकती।
प्रधानमंत्री ने कहा कि करीब 3000 बाघों के साथ, भारत आज सबसे बड़ा और सुरक्षित प्राकृतिक वास हो गया है। नरेन्द्र मोदी ने जोर देकर कहा कि आगे का रास्ता चयनात्मकता की बजाय सामूहिकता है। उन्होंने कहा कि पर्यावरण संरक्षण के लिए एक व्यापक आधार और समग्र दृष्टिकोण आवश्यक है। प्रधानमंत्री ने कहा कि विकास और पर्यावरण के बीच स्वस्थ संतुलन कायम करना संभव है। उन्होंने कहा,’हमारी नीतियों, हमारी अर्थनीतियों में, हमें प्राकृतिक संरक्षण के बारे में अपनी संवादात्मक भूमिका को बदलना होगा।’
भारत अपने नागरिकों के लिए कुछ और मकानों का निर्माण करेगा और साथ ही जीव-जंतुओं के लिए गुणवत्तापूर्ण प्राकृतिक वास भी बनाएगा। भारत के पास एक आकर्षक समुद्री अर्थव्यवस्था और एक स्वस्थ समुद्री पारिस्थितिकी होगी। प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि यह संतुलन एक मजबूत और समग्र भारत के लिए योगदान देगा।
प्रधानमंत्री ने विश्वास व्यक्त किया कि भारत आर्थिक और पर्यावरण की दृष्टि से समृद्ध होगा; भारत और अधिक सड़कों का निर्माण करेगा और उसकी नदियां साफ होंगी; भारत के पास बेहतर ट्रेन संपर्क होगा और पेड़ों की अधिक संख्या होगी।
प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले पांच वर्षों में, अगली पीढ़ी के बुनियादी ढांचे के लिए कार्य की गति तेज हुई है, देश में वन क्षेत्र भी बढ़ा है। ‘संरक्षित क्षेत्रों’ में भी बढ़ोतरी हुई है। वर्ष 2014 में 692 संरक्षित क्षेत्र थे, जिनकी संख्या 2019 में बढ़कर 860 से अधिक हो गई है। ‘सामुदायिक शरणस्थलों’ की संख्या भी बढ़कर 100 हो गई है, जो 2014 में केवल 43 थी।
उन्होंने कहा कि भारत अपनी अर्थव्यवस्था को ‘स्वच्छ ईंधन आधारित’ और ‘नवीकरणीय ऊर्जा आधारित’ बनाने के लिए निरंतर प्रयास कर रहा है। उन्होंने कहा कि ‘कचरा’ और ‘बायोमास’ भारत की ऊर्जा सुरक्षा का बड़ा हिस्सा तैयार करते हैं। उन्होंने एलपीजी कनेक्शनों और एलईडी बल्बों के लिए क्रमश: उज्ज्वला और उजाला जैसी योजनाओं में हुई प्रगति का जिक्र किया। अंत में प्रधानमंत्री ने बाघों के संरक्षण की दिशा में अधिक प्रयास करने का आह्वान किया। इस अवसर पर केन्द्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु संरक्षण मंत्री श्री प्रकाश जावड़ेकर, केन्द्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु संरक्षण राज्य मंत्री श्री बाबूल सुप्रियो; और मंत्रालय में सचिव श्री सी.के. मिश्रा मौजूद थे।