जयपुर। राजस्थान में भाजपा की वसुंधरा राजे सरकार भले ही चिकित्सा सेवाओं को आमजन तक पहुंचाने का दावा कर लें। लेकिन उदयपुर के कोटड़ा से जो तस्वीर निकलकर सामने आई है। उसने इन दावों को पूरी तरह झुठला दिया है। जहां आज भी लोगों को अपने चिकित्सा सेवाओं का लाभ लेने के लिए खासी मशक्कत ही करनी पड़ती है।
कोटड़ा में प्रसव पीड़ा से जूझ रही एक महिला को अस्पताल ले जाने के लिए जब कोई सुविधा नहीं मिली तो परिजनों ने प्रसूता को झोली में डालकर 2 किलोमीटर का पहाड़ी रास्ता तय कर एम्बूलेंस तक पहुंचाया। जहां प्रसूता का प्रसव एम्बूलेंस में ही हो गया। कुछ ऐसी ही परिस्थितियों से जूझना पड़ा क्षेत्र के बिलवन तालाब गांव निवासी असमा पुत्र शंकर बुंबरिया व उसकी पत्नी को।
-रास्ता नहीं मिला तो रुक गई एम्बुलेंस
असमा की पत्नी को प्रसव पीड़ा हुई तो असमा ने एम्बूलेंस को फोन किया। सूचना पर एम्बूलेंस निकली, लेकिन पहाड़ी रास्ता होने के कारण आगे नहीं बढ़ सकी। ऐसे में एम्बूलेंस असमा के घर से 2 किलोमीटर पहले ही ठहर गई। इधर असमा की पत्नी को प्रसव पीड़ा लगातार बढ़ती जा रही थी। ऐसे में कोई साधन नहीं आया तो अपने स्तर पर ही जुगाड़ किया। उसने एक लकड़ी के सहारे कपड़े को दोनों ओर से बांध दिया। जिससे झोली बन गई और उसमें पत्नी को बैठा दिया। बाद में असमा अपने परिवार के एक अन्य शख्स के साथ उसे उठाकर पैदल ही अस्पताल की ओर निकल पड़ा। जहां घंटेभर से अधिक का सफर तय करने के बाद उसे 2 किलोमीटर दूर एम्बूलेंस नजर आई। इस बीच पहाड़ी रास्ते में प्रसूता को खासी परेशानी का सामना करना पड़ा। यही वजह रही कि प्रसूता का एम्बूलेंस में ही प्रसव हो गया। बाद में प्रसूता व नवजात को सीएचसी में भर्ती कराया गाय।
-महज एक बानगी
बता दें उदयपुर के आदिवासी क्षेत्र में यह तो एक बानगी है। पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण सड़क मार्ग की कोई बेहतर सुविधा नहीं होने से यहां लोगों को अक्सर ऐसी परेशानियों से दो-चार होना ही पड़ता है। प्रसव का मामला हो या फिर बीमारी। लोगों को अस्पताल जाने के लिए इन परिस्थितियों से होकर गुजरना ही पड़ता है। जबकि सरकार आदिवासी इलाकों में खुशहाली को लेकर हर बार अपने स्तर पर दावे करती नजर आती है। असमा के मामले में जो तस्वीर उभरकर सामने आई है। उसने रकार के दावों को पूरी तरह नकार ही दिया है।
-पहले भी सामने आया ऐसा ही मामला
असमा के मामले से पहले भी एक मामला ऐसा ही उभर कर आया। जहां सामोली पंचायत के खुणा गांव निवासी रांपली पत्नी हुजिया बुंबरिया को प्रसव पीड़ा होने पर परिजनों ने एम्बूलेंस को कॉल किया। रास्ता नहीं होने से परिजनों ने झोली तैयार कर कंधे पर 4 किमी का सफर तक एम्बुलेंस तक पहुंचाया।