नयी दिल्ली : राजनीतिक रूप से संवेदनशील 64 करोड़ रुपये के बोफोर्स घूसकांड को लेकर भाजपा के एक नेता ने आज उच्चतम न्यायालय में आरोप लगाया कि सीबीआई ने दिल्ली उच्च न्यायालय को यह कहकर गुमराह किया कि इस मामले की जांच में करीब 250 करोड़ रुपये खर्च हुए। वर्ष 2014 में कांग्रेस की तत्कालीन अध्यक्ष सोनिया गांधी के खिलाफ रायबरेली से लोकसभा चुनाव लड़ने वाले अधिवक्ता अजय अग्रवाल ने दावा किया कि आरटीआई के उनके 21 मार्च 2011 के जवाब के अनुसार, बोफोर्स मामले की पूरी जांच में करीब 4 .77 करोड़ रुपये खर्च हुए।
शीर्ष अदालत ने 18 अक्तूबर 2005 को अग्रवाल की याचिका विचारार्थ स्वीकार की थी। यह याचिका उस समय दायर की गई थी जब सीबीआई यूरोप के उद्योगपतियों, हिन्दुजा बंधुओं के खिलाफ आरोप खारिज करने के दिल्ली उच्च न्यायालय के 31 मई 2005 के फैसले के बाद 90 दिन की समयावधि में शीर्ष अदालत में अपील करने में नाकाम रही थी। दिल्ली उच्च न्यायालय के अब सेवानिवृत्त हो चुके न्यायाधीश आर एस सोढी ने 31 मई 2005 को तीनों हिन्दुजा बंधुओं-श्रीचंद, गोपीचंद और प्रकाशचंद तथा बोफोर्स कंपनी के खिलाफ सभी आरोप खारिज किये थे और मामले से निपटने के तरीके को लेकर सीबीआई की निंदा करते हुए कहा था कि इसमें करीब 250 करोड़ रुपये सरकारी राजस्व से खर्च हुए।
अग्रवाल ने शीर्ष अदालत में दायर अपने छोटे हलफनामे में कहा, ‘‘सीबीआई ने न्यायाधीश को यह संकेत दिया कि जांच में 250 करोड़ रुपये खर्च हुए जबकि याचिकाकर्ता :अग्रवाल: को 21 मार्च 2011 के आरटीआई जवाब में कहा गया कि इस मामले की जांच में 4 .77 करोड़ रुपये खर्च हुए।’’ इस मामले में कल आगे की सुनवाई हो सकती है।