जयपुर। राजस्थान उच्च न्यायालय ने गत 15 वर्षो से पैराटीचर के पद पर काम कर रही शिक्षिका को प्रबोधक के पद पर नियमित नही किये जाने और नियमित वेतनमान नही दिए जाने के मामले में राज्य के प्रमुख शिक्षा सचिव ;प्रारम्भिक शिक्षा निदेशक ;टोंक जिला परिषद के सीईओ और दो अन्य को कारण बताओ नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब तलब किया हे ।न्यायाधीश अजय रस्तोगी की एकलपीठ ने यह अंतरिम आदेश मालपुरा के टोरडी गाँव में वर्ष 2002 से कार्यरत ऊषा शर्मा द्वारा अधिवक्ता लक्ष्मीकान्त शर्मा के जरिये दायर याचिका पर प्रारम्भिक सुनवाई करते हुए दिए हे ।याचिका में बताया गया हे की अगस्त 2001 में प्रार्थिया का चयन पेराटीचर के पद पर हुआ तब से वो लगातार इस पद पर काम कर रही हे किन्तु प्रबोधक भर्ती 2008 के तहत उसका चयन ये कहते हुए नही किया की उसने लगातार 5 वर्ष में से 180 दिन का प्रसूति अवकाश ले लिया ।प्रार्थी पक्ष का अदालत में कहना था की प्रदेश में प्रबोधक के वर्तमान में कई पद रिक्त हे और अब प्रार्थिया का कोई सेवा ब्रेक नही हे ऐसे में उसे प्रबोधक के पद पर नियमित नियक्ति दी जावे साथ ही नियमित वेतनमान भी अदालत से दिलवाए जाने की गुहार याचिका में की गई हे