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नयी दिल्ली: भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण :ट्राई: ने आज इंटरनेट सुविधाओं के मार्ग में आपरेटरों की तरफ से किसी तरह के भेदभाव पर रोक लगाने की सिफारिश की है। नियामक ने नेट निरपेक्षता पर अपनी सिफारिशों में कहा है कि इंटरनेट सेवाप्रदाता वेब पहुंच उपलब्ध कराते समय ट्रैफिक में किसी तरह का भेदभाव नहीं कर सकते। न तो वे किसी एप, वेबसाइट और सेवाओं को ब्लॉक कर उन पर अंकुश लगा सकते हैं, न ही दूसरों को ‘तेज रास्ता’ उपलब्ध करा सकते हैं। नेट निरपेक्षता पर अपनी सिफारिशों में ट्राई ने इंटरनेट पर इस सिद्धान्त को सही ठहराया है कि यह एक खुला मंच है।

ट्राई ने पिछले साल नेट पहुंच के लिए भिन्न मूल्य में भेदभाव पर रोक लगाई थी। सरकार द्वारा उसकी सिफारिशों पर फैसले तक नियामक चाहता है कि इसका नियमन इस तरीके से किया जाए जिसमें इंटरनेट पर सभी तरह की सामग्री पर गैर अंकुश वाली पहुंच के लिए लाइसेंसिंग अनिवार्यता को क्रियान्वित और लागू किया जा सके।

यदि इन प्रस्तावों को स्वीकार किया जाता है तो इंटरनेट सेवा प्रदाता :आईएसपी: किसी वेब ट्रैफिक को न तो ब्लाक कर सकेंगे न ही उन्हें भुगतान के बाद अधिक तेज इंटरनेट की सुविधा दे सकेंगे। यह रोक सभी माध्यमों चाहे वह कंप्यूटर हो, लैपटॉप हो या मोबाइल फोन हो, सभी पर लागू होगी। ट्राई की ये सिफारिशें तब आई हैं जबकि अमेरिकी संघीय संचार आयोग के चेयरमैन अजित पई ने 2015 के उन नियमों को समाप्त करने का प्रस्ताव किया है जिसके तहत आईपीएस को सभी सामग्रियों के साथ समान व्यवहार करना होता है। ट्राई की इन सिफारिशों से दूरसंचार आपरेटर इंटरनेट पर सेवाओं के लिए भेदभावपूर्ण रवैया नहीं अपना पाएंगे, चाहे यह नेट की रफ्तार कम करने के बारे में हो या आनलाइन वीडियो देखने को लेकर हो। इसके अलावा नियामक ने कंपनियों के लाइसेंसिंग नियमों में भी बदलाव का पक्ष लिया है, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि सामग्री के आधार पर इंटरनेट पहुंच के मामले में भेदभाव नहीं हो सके।

ट्राई ने कहा, ‘‘सामग्री के मामले में भेदभावपूर्ण व्यवहार में किसी भी तरीके का भेदभाव, सामग्री पर अंकुश या हस्तक्षेप का प्रयास मसलन ब्लॉक करना, कम करके दिखाना, किसी सामग्री के लिए गति को धीमा करना या किसी को रफ्तार में प्राथमिकता देना शामिल है।’’ ट्राई ने कहा है कि सेवाप्रदाताओं को इस तरह की किसी व्यवस्था या समझौते से रोका जाना चाहिए जो सामग्री पहुंच के आधार पर भेदभाव की स्थिति पैदा करती हो।

हालांकि, नियामक ने विशेषीकृत सेवाओं को भेदभावपूर्ण व्यवहार के सिद्धान्त से छूट देने का प्रावधान किया है। ट्राई ने कहा है कि यह रियायत सिर्फ उन सेवाओं पर मिलेगी जिनमें गुणवत्ता और सेवा जरूरतों के लिए महत्तम उपयोग जरूरी है। साथ ही ट्राई ने कहा कि इंटरनेट आफ थिंग्स :आईओटी: के मामले में भेदभावपूर्ण व्यवहार के अंकुशों का पालन करना होगा। नेट निरपेक्षता पर ट्राई ने अपनी सिफारिशें में बहु अंशधारक निकाय बनाने का सुझाव दिया है। इस निकाय में दूरसंचार और इंटरनेट सेवाप्रदाता कंपनियों, सामग्री प्रदाताओं, नागरिक समाज, संगठनों और उपभोक्ता प्रतिनिधियों को शामिल किया जाएगा। ट्राई का सुझाव है कि यह निकाय इस मामले में उल्लंघनों की निगरानी और जांच करेगा।

ट्राई ने इस विषय पर परामर्श पत्र इस साल जनवरी में जारी किया था। यह मुख्य रूप से नेटवर्क की रफ्तार पर केंद्रित था जिससे दूरसंचार आपरेटर किसी वेबसाइट या वॉयस कॉल जैसी सेवाओं को प्राथमिकता न दे पाएं या उन तक पहुंच पर अंकुश न लगा पाएं। नेट निरपेक्षता के समर्थक इस सिद्धान्त का समर्थन कर रहे हैं कि समूचे इंटरनेट ट्रैफिक तक सभी को समान शर्तों के साथ पहुंच सुनिश्चित हों और इसमें किसी तरह का भेदभाव न किया जाए।

 

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