जयपुर। देश में पीएम मोदी की लहर के चलते जहां कांग्रेस सहित अन्य पार्टियों के नेता भाजपा के ध्वज तले खुद का वजूद बचाने की तलाश में जुटे हुए हैं। वहीं राजस्थान में यह स्थिति विपरित ही देखने को मिल रही है। लाल शक्ति सेना के बाद अब भाजपा के दो बड़े नेताओं ने पार्टी से अपना नाता तोड़ दिया है।

दोनों ही नेताओं ने भाजपा को छोड़कर अब कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण कर ली है। ऐसे में अब राजस्थान ही संभवत: देश में पहला राज्य उभरकर सामने आया है। जहां भाजपा के नेताओं का पार्टी से मोहभंग होने लगा है। प्रदेश में विधानसभा चुनाव को लेकर महज डेढ़ साल से कम का समय बचा है। ऐसे में भाजपा नेताओं का स्वयं की पार्टी से मोहभंग होना पार्टी के लिए चिंता का सबब बन सकता है। हालांकि राजस्थान में भाजपा खुद को सीएम वसुंधरा राजे के नेतृत्व में एकजुट होने का बात कहते हुए आगामी विधानसभा चुनावों में एक बार फिर जीत का परचम लहराने का दावा कर रही है। फिर भी जिस तरह से पहले लाल शक्ति सेना और अब भरतपुर से विधायक रहे दो भाजपा नेताओं का कांग्रेस खेमे में जाना इस बात का संकेत है कि कांग्रेस नेताओं को भाजपा में लाने का दाव कहीं राजस्थान में उलटा न पड़ जाए।

-सचिन पायलट ने दिलाई सदस्यता
कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष सचिन पायलट ने बुधवार को भाजपा से विधायक रहे भरतपुर के गोपींचद गुर्जर व मोतीलाल को माला पहनाई और सदस्यता फार्म भरकर पार्टी की सदस्यता ग्रहण कराई। इस दौरान गोपीचंद गुर्जर व मोतीलाल ने आरोप लगाया कि वर्ष 1993 में वे चुनाव जीते, लेकिन उसके बाद से लगातार तीन चुनावों में भाजपा में उनकी कभी नहीं सुनी गई। उनको पार्टी में किनारे पर ही लगाने का काम किया गया। ऐसे में अब वे स्वेच्छा से भाजपा छोड़ रहे हैं। गुर्जर और जाटव ने पायलट का आश्वासन दिया कि वे पूर्ण समर्पण के साथ पार्टी के लिए काम करेंगे और उनकी सदस्यता दिसंबर 2018 में होने वाली विधानसभा चुनाव में पार्टी की जीत सुनिश्चित करेगी।

-500 भाजपा कार्यकर्ता कांग्रेस में हुए शामिल
इससे पहले लाल शक्ति सेना अध्यक्ष हेमलता शर्मा के नेतृत्व में 500 भाजपा कार्यकर्ता कांग्रेस को ज्वाइन कर चुके हैं। हेमलता शर्मा पहले भाजपा से जुड़ी थी, लेकिन मेट्रो प्रोजेक्ट के दौरान शहर के दर्जनों मंदिरों को ढहाने से नाराज होकर उनके संगठन ने सरकार और पार्टी के खिलाफ मोर्चा खोला। कांग्रेस सदस्यता के दौरान हेमलता शर्मा ने कहा था कि अगर कोई गलत करेगा, उसे कैसे सहन करेंगे। शहर में मंदिर टूट रहे थे, तब भाजपा नेता कहां थे। विचारों से समझौता नहीं कर सकते। विरोध तो करेंगे।

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