delhi. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारत की जीडीपी के 10% के बराबर 20 लाख करोड़ रुपये के विशेष आर्थिक और व्यापक पैकेज की घोषणा की। उन्होंने आत्मनिर्भर भारत अभियान का आह्वान किया। उन्होंने आत्मनिर्भर भारत के पांच स्तंभों यथा अर्थव्यवस्था, अवसंरचना, प्रणाली, युवा आबादी या शक्ति और मांग को भी रेखांकित किया।
केंद्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने आज अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में कृषि, मत्स्य पालन और खाद्य प्रसंस्करण सेक्टरों के लिए कृषि अवसंरचना लॉजिस्टिक्स को मजबूत करने, क्षमता निर्माण, गवर्नेंस और प्रशासनिक सुधारों के लिए अहम उपायों के तीसरे भाग की घोषणा की।
इसका विस्तृत विवरण देते हुए श्रीमती सीतारमण ने कहा कि इन 11 उपायों में से 8 उपाय कृषि अवसंरचना या बुनियादी ढांचागत सुविधाओं को बेहतर बनाने के लिए हैं और 3 उपाय प्रशासनिक एवं गवर्नेंस सुधारों के लिए हैं जिनमें कृषि उपज की बिक्री और स्टॉक सीमा पर प्रतिबंध हटाना भी शामिल हैं।
केंद्रीय वित्त मंत्री ने अपने प्रारंभिक संबोधन में कहा कि किसानों को संबल देने के लिए कल भी कृषि संबंधी दो महत्वपूर्ण उपायों की घोषणा की गई थी। पहली घोषणा – नाबार्ड के जरिए अतिरिक्त आपातकालीन कार्यशील पूंजी सुविधा के रूप में 30,000 करोड़ रुपये दिए जाएंगे, ताकि आरआरबी और सहकारी बैंक कटाई के बाद रबी सीजन एवं खरीफ सीजन से जुड़े खर्चों के लिए कृषि ऋण देने में समर्थ हो सकें। दूसरी घोषणा – दिसंबर 2020 तक किसान क्रेडिट कार्ड योजना के तहत 2.5 करोड़ पीएम-किसान लाभार्थियों को कवर करते हुए कृषि क्षेत्र को 2 लाख करोड़ रुपये का ऋण प्रोत्साहन देने के लिए मिशन-मोड में एक अभियान चलाया जाएगा।
पिछले 2 महीनों में सरकार ने जो-जो कदम उठाए हैं, उनका लेखा-जोखा देते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि लॉकडाउन की अवधि के दौरान न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीद 74,300 करोड़ रुपये से भी अधिक की राशि की हुई; पीएम किसान फंड के तहत 18,700 करोड़ रुपये का हस्तांतरण हुआ और पीएम फसल बीमा योजना के तहत 6,400 करोड़ रुपये के दावों का भुगतान किया गया है।
इसके अलावा, लॉकडाउन के दौरान दूध की मांग 20-25% कम हो गई। तदनुसार, सहकारी समितियों द्वारा 560 लाख लीटर प्रति दिन (एलएलपीडी) की खरीद की गई, जबकि 360 लाख लीटर प्रति दिन की बिक्री हुई। कुल 111 करोड़ लीटर दूध की अतिरिक्त खरीद हुई जिससे 4100 करोड़ रुपये का भुगतान सुनिश्चित हुआ।
इसके अलावा, वर्ष 2020-21 में डेयरी सहकारी समितियों को प्रति वर्ष 2% की दर से ब्याज सब्सिडी देने के लिए एक नई योजना शुरू की गई है। इसके साथ ही त्वरित भुगतान/ब्याज अदायगी पर 2% वार्षिक की अतिरिक्त ब्याज सब्सिडी दी जा रही है। इस योजना से 5000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त तरलता सुलभ होगी, जिससे 2 करोड़ किसान लाभान्वित होंगे।
मत्स्य पालन क्षेत्र के लिए, 24 मार्च को की गईं कोविड से संबंधित सभी 4 घोषणाएं लागू कर दी गई हैं। इसके अलावा 242 पंजीकृत झींगा हैचरी (बाड़े) और नौपली रियरिंग हैचरीज के पंजीकरण को 3 महीने का विस्तार दिया गया है, जो 31.03.2020 को एक्सपायर हो रहा था और इनलैंड (आंतरिक) मत्स्य पालन को कवर करने के लिए मैरीन कैप्चर फिशरीज और एक्वाकल्चर में छूट दे दी गई है।
सुश्री सीतारमण ने कहा कि आज की गईं घोषणाओं से किसानों, मछुआरों की जिंदगी, सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों पर दीर्घकालिक और स्थायी असर होगा।
वित्त मंत्री ने कृषि, मत्स्य पालन और खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्रों के लिए आधारभूत ढांचा लॉजिस्टिक्स को मजबूत बनाने और क्षमता निर्माण के लिए निम्नलिखित उपायों की घोषणा की :-
1. किसानों के लिए कृषि द्वार (फार्म-गेट) आधारभूत ढांचे पर केन्द्रित 1 लाख करोड़ रुपये का कृषि आधारभूत ढांचा कोष
फार्म-गेट और एकत्रीकरण बिंदुओं (प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों, किसान उत्पादक संगठनों, कृषि उद्यमियों, स्टार्ट-अप आदि) पर मौजूद कृषि आधारभूत ढांचा परियोजनाओं को वित्तपोषण के लिए 1,00,000 करोड़ रुपये की वित्तपोषण सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। किफायती और वित्तीय रूप से व्यवहार्य कृषि बाद प्रबंधन आधारभूत ढांचे से फार्म-गेट और एकत्रीकरण बिंदु के विकास के लिए प्रोत्साहन मिलेगा। इस कोष की तत्काल स्थापना की जाएगी।
2. सूक्ष्म खाद्य उपक्रमों (एमएफई) के औपचारिकरण के लिए 10,000 करोड़ रुपये की योजना
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के दृष्टिकोण को आगे बढ़ाने वाली योजना : 2 लाख एमएफई की सहायता के लिए ‘वैश्विक पहुंच के साथ वोकल फॉर लोकल’ का शुभारम्भ किया जाएगा। इससे ऐसे उद्यमियों को फायदा होगा, जिन्हें एफएसएसएआई खाद्य मानकों को हासिल करने, ब्रांड खड़ा करने और विपणन के लिए तकनीक उन्नयन की जरूरत है। वर्तमान खाद्य उद्यमियों, किसान उत्पादक संगठनों, स्वयं सहायता समूहों और सहकारी समितियों को भी समर्थन दिया गया है। इसमें महिलाओं और एससी/एसटी के स्वामित्व वाली इकाइयों और आकांक्षी जिलों पर ध्यान केन्द्रित किया जाएगा तथा क्लस्टर आधारित रणनीति (जैसे- उत्तर प्रदेश में आम, कर्नाटक में टमाटर, आंध्र प्रदेश में मिर्च, महाराष्ट्र में संतरा आदि) को अपनाया जाएगा।
3. प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) के माध्यम से मछुआरों के लिए 20,000 करोड़ रुपये
सरकार समुद्री और अंतर्देशीय (इनलैंड) मछली पालन के एकीकृत, सतत और समावेशी विकास के लिए पीएमएमएसवाई का शुभारम्भ करेगी। समुद्री, अंतर्देशीय मछली पालन और एक्वाकल्चर से जुड़ी गतिविधियों के लिए 11,000 करोड़ रुपये तथा आधारभूत ढांचा – फिशिंग हार्बर्स, शीत भंडार, बाजार आदि के लिए 9,000 करोड़ रुपये की धनराशि उपलब्ध कराई जाएगी। इसके तहत केज कल्चर, समुद्री शैवाल की खेती, सजावटी मछलियों के साथ नए मछली पकड़ने के जहाज, ट्रेसेलिबिलिटी (पता लगाने), प्रयोगशाला नेटवर्क आदि को बढ़ावा दिया जाएगा। मछुआरों को बैन पीरियड (जिस अवधि में मछली पकड़ने की अनुमति नहीं होती है) सपोर्ट, व्यक्तिगत और नौका बीमा के प्रावधान किए जाएंगे। इससे 5 साल में 70 लाख टन अतिरिक्त मछली उत्पादन होगा, 55 लाख से ज्यादा लोगों को रोजगार मिलेगा और निर्यात दोगुना होकर 1,00,000 करोड़ रुपये के स्तर पर पहुंच जाएगा। इसमें अंतर्देशीय, हिमालयी राज्यों, पूर्वोत्तर और आकांक्षी जिलों पर ध्यान केन्द्रित किया जाएगा।
4. राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम
खुरपका मुंहपका रोग (एफएमडी) और ब्रुसेलोसिस के लिए राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम 13,343 करोड़ रुपये के कुल परिव्यय के साथ शुरू किया गया। यह कार्यक्रम खुरपका मुंह पका रोग और ब्रुसेलोसिस के लिएमवेशी, भैंस, भेड़, बकरी और सुअर की आबादी (कुल 53 करोड़ पशुओं) का 100प्रतिशत टीकाकरण सुनिश्चित करने के उद्देश्य से शुरु किया गया।अब तक, 1.5 करोड़ गायों और भैंसों को टैग किया गया है और उन्हें टीके लगाए जा चुके हैं।
5. पशुपालन बुनियादी ढांचा विकास कोष – 15,000 करोड़ रुपये
डेयरी प्रसंस्करण, मूल्य वर्धन और पशु चारा बुनियादी ढांचे में निजी निवेश का समर्थन करने के उद्देश्य से 15,000 करोड़रुपये का पशुपालनबुनियादी ढांचा विकासकोष स्थापित किया जाएगा। विशिष्ट उत्पादों के निर्यात हेतु संयंत्र स्थापित करने के लिए प्रोत्साहन दिया जाएगा।
6. औषधीय या हर्बल खेती को प्रोत्साहन : 4000 करोड़ रुपये का परिव्यय
राष्ट्रीय औषधीय पादप बोर्ड (एनएमपीबी) ने 2.25 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में औषधीय पौधों की खेती को सहायता प्रदान की है। अगले दो वर्षों में 4,000 करोड़ रुपये के परिव्यय सेहर्बल खेती के तहत 10,00,000 हेक्टेयर क्षेत्र को कवर किया जाएगा। इससे किसानों को5,000 करोड़ रुपयेकी आमदनी होगी। औषधीय पौधों के लिए क्षेत्रीय मंडियों का नेटवर्क होगा। एनएमपीबीगंगा के किनारे 800 हैक्टेयर क्षेत्र में गलियारा विकसित कर औषधीय पौधे लगाएगा।
7. मधुमक्खी पालन संबंधी पहल – 500 करोड़ रुपये
सरकार निम्नलिखित के लिए योजना का कार्यान्वयन करेगी :
ए. एकीकृत मधुमक्खी पालन विकास केंद्रों, संग्रह, विपणन और भंडारण केंद्रों, पोस्ट हार्वेस्ट और मूल्य वर्धन सुविधाओं आदि से संबंधित बुनियादी ढांचे का विकास;
बी. मानकों का कार्यान्वयन और ट्रेसबिलिटी सिस्टम का विकास करना
सी. महिलाओं पर बल देने सहित क्षमता निर्माण;
डी. क्वालिटी नूक्लीअस स्टॉक और मधुमक्खी पालकों का विकास।
इससे 2 लाख मधुमक्खी पालकों की आय में वृद्धि होगी और उपभोक्ताओं को गुणवत्तापूर्ण शहद की प्राप्ति होगी।
8. (टमाटर, प्याज और आलू) ‘टॉप’से ‘टोटल’ (सम्पूर्ण) तक – 500 करोड़ रुपये
खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय द्वारा संचालित “ऑपरेशन ग्रीन्स” को टमाटर, प्याज और आलू से लेकर सभी फलों और सब्जियों तक बढ़ाया जाएगा।यह योजनाकोल्ड स्टोरेज सहित सरप्लस से घाटे वाले बाजारों में परिवहन पर 50% सब्सिडी, भंडारण पर 50% सब्सिडीप्रदान करेगीऔर इसे अगले 6 महीनों के लिए प्रायोगिक रूप से लॉन्च किया जाएगा तथा इसे बढ़ाया और विस्तारित किया जाएगा।इससे किसानों को बेहतर कीमत की प्राप्ति होगी, बर्बादी में कमी आएगी, उपभोक्ताओं को किफायती उत्पाद मिलेंगे।
संवाददाता सम्मेलन के दौरान, केंद्रीय वित्त मंत्री ने कृषि क्षेत्र के लिए शासन और प्रशासनिक सुधार के लिए निम्नलिखित उपायों की घोषणा की: –
1.किसानों को बेहतर मूल्य प्राप्ति के लिए आवश्यक वस्तु अधिनियम में संशोधन
सरकार आवश्यक वस्तु अधिनियम में संशोधन करेगी। अनाज, खाद्य तेल, तिलहन, दलहन, प्याज और आलू सहित कृषि खाद्य पदार्थों को नियंत्रण से मुक्त किया जाएगा। असाधारण परिस्थितियों में ही स्टॉक की सीमा पर प्रतिबंध लगाई जाएगी जैसे राष्ट्रीय आपदा, कीमतों में वृद्धि के साथ अकाल जैसी स्थिति के लिए। इसके अलावा, ऐसी कोई स्टॉक सीमा संसाधक या मूल्य श्रृंखला के भागीदारों पर लागू नहीं होगी।
2.किसानों को विपणन का विकल्प प्रदान करने के लिए कृषि विपणन सुधार
इसको उपलब्ध कराने के लिए एक केंद्रीय कानून तैयार किया जाएगा –
किसान को लाभकारी मूल्य पर अपनी उपज को बेचने के लिए पर्याप्त विकल्प;
निर्बाध अंतरराज्यीय व्यापार;
कृषि उत्पादों की ई-ट्रेडिंग के लिए एक रूपरेखा,
3.कृषि उपज मूल्य निर्धारण और गुणवत्ता का आश्वासन:
सरकार किसानों को उचित और पारदर्शी तरीके से संसाधकों, समूहकों, बड़े खुदरा विक्रेताओं, निर्यातकों आदि के साथ जुड़ने में सक्षम बनाने के लिए, एक सुविधाजनक कानूनी संरचना को अंतिम रूप देगी। किसानों के लिए जोखिम में कमी, सुनिश्चित रिटर्न और गुणवत्ता मानकीकरण इस संरचना का अभिन्न अंग होगा।