दिल्ली। केन्द्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने आज गृह मंत्रालय की संसदीय सलाहकार समिति की बैठक की अध्यक्षता की। राजनाथ सिंह ने सदस्यों को जानकारी देते हुए कहा कि यह पहला अवसर है कि गृह मंत्रालय की पुनर्संरचना और पुनर्संगठन के लिए सलाहकार समिति की ओर से सुझाव आए हैं। उन्होंने उल्लेख किया कि पिछले 70 वर्षों में मंत्रालय की संरचना और प्रक्रियाओं में कुछ बदलाव आए हैं, लेकिन गृह मंत्रालय के पुनर्गठन के लिए वृहद चर्चा और नये विचारों की अभी भी आवश्यकता है। यह पुनर्गठन बदलते सुरक्षा माहौल और साइबर अपराध जैसे उभरते खतरों को ध्यान में रखते हुए होना चाहिए। राजनाथ सिंह ने जानकारी देते हुए कहा कि यह तो शुरुआत है और यदि जरूरत पड़ी, तो आगे भी चर्चाएं होंगी। बैठक के दौरान सदस्यों को मौजूदा कार्य दबाव तथा दीर्घकालिक योजना की आवश्यकता के संबंध में जानकारी दी गई, ताकि आतंकवाद और नशीले पदार्थों के दुष्प्रभाव का सामना किया जा सके। पुलिस सुधार, साइबर सुरक्षा, खुली सीमाएं और विभिन्न कानूनों के पुनर्मुल्यांकन की आवश्यकता को रेखांकित किया गया। राजनाथ सिंह ने सदस्यों से इन विषयों पर अपने सुझाव देने के लिए कहा। सदस्यों ने केंद्रीय गृह मंत्री को यह कदम उठाने के लिए यह कहते हुए धन्यवाद दिया कि सलाहकार समिति की पूर्व बैठकों में इन विषयों पर कभी चर्चा नहीं हुई थी। सदस्यों ने कहा कि वे आने वाले समय में और अधिक सुझाव प्रस्तुत करेंगे और यदि आवश्यकता हुई तो समिति की आने वाली बैठकों में भी इन विषयों पर चर्चा की जाएगी। राजनाथ सिंह ने कहा कि मंत्रालय उनके बहुमूल्य सुझावों पर विचार करेगा। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि पेशवेर लोगों की एक टीम विषय का विस्तृत अध्ययन करेगी। उन्होंने सदस्यों को उनके बहुमूल्य सुझावों के लिए धन्यवाद दिया। लोकसभा के सदस्य डॉ. भगीरथ प्रसाद, देवेन्द्र उर्फ भोले सिंह, गीता कोठापल्ली, हुकम सिंह, जयप्रकाश नारायण यादव, कीर्ति झा आजाद, डॉ. थोकचॉम मेइन्या और टी. जी. वेंकटेश बाबू और राज्य सभा के सदस्य भुवनेश्वर कलिथा, डॉ. के केशव राव, मुकुल रॉय, प्रो. राम गोपाल यादव, राणी नाराह, एस. मुथुकारुप्पन तथा शांताराम नाईक ने बैठक में भाग लिया। गृह मामलों के राज्य मंत्री हंसराज गंगाराम अहिर और किरेन रिजिजू, केंद्रीय गृह सचिव, सचिव (सीमा प्रबंधन), सचिव (राजभाषा भाषा) और गृह मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।