jaipur. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आज वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से गांधीनगर लोकसभा क्षेत्र के 20 गाँवों के 200 प्रशिक्षित परिवारों के कुम्हार को विदूयत चालित चाक वितरित किए। इस अवसर पर अमित शाह ने कहा कि समाज के गरीब व वंचित वर्ग को सशक्त कर उन्हें विकास की मुख्यधारा से जोड़ना मोदी सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। पंडित दीनदयाल उपध्याय जी ने कहा था गरीबो के घर में दिए जलाने से और उन्हे रोजगारी देने से बडा काम कोई नही है। विद्युत चालित चाक के वितरण से अहमदाबाद जिले के प्रजापति समाज के 200 परिवारो को नई दिशा मिलने जा रही है।
केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि कुम्हार सशस्तिकरण योजना देश की पारंपरिक कला को पुनर्जीवित करने की दिशा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी की एक अभूतपूर्व पहल है। खादी और ग्रामोद्योग आयोग ने कुम्हार भाइयों-बहनों को प्रशिक्षित कर अन्य उपकरण भी वितरित किये हैं जिससे उनका काम सरल होगा और समय की बचत के साथ साथ उनके उत्पादन व आय में वृद्धि होगी।
अमित शाह ने कहा कि पीएम मोदी ने स्वदेशी वस्तुओं के उपयोग पर ज़ोर दिया है। आज पर्यावरण के प्रति लोगो में जागृति आ रही है, घरों में मिट्टी के बर्तनों का उपयोग बढ रहा है। लोग रोटी बनाने के लिए लोहे की जगह मिट्टी के तवे का उपयोग करने लगे हैं। लोगों ने फ्रीज के पानी की जगह मटके का पानी पीना शुरु किया है। केंद्रीय गृह मंत्री ने यह भी कहा कि रेलवे स्टेशन और दूसरी जगह प्लास्टीक की चीजो का उपयोग बंद कर के कुल्हड और मिट्टी के दीए जैसी वस्तुएँ पहुंचाने का प्रयास किया गया है, जिससे रोजगार को खूब बढावा मिलेगा। कुछ दिनों में नवरात्रि भी आ रही है उसके बाद शरद पूनम और दिवाली के त्यौहार आएंगे, इसलिए दीयों और मिट्टी की अन्य वस्तुओं की खपत बढेगी।
अमित शाह ने खादी और ग्रामोद्योग आयोग से रेलवे के साथ प्रजापति समाज का टाई अप कराने की अपील की ताकि वे एक संस्था बना कर रेलवे को अपनी वस्तुएँ बेच सकें। उन्होने कहा कि गुजरात में सहकारी मॉडल मजबूत है। तालुका स्तर की सहकारी संस्था प्रजापति समाज से कुल्हड खऱीदे इससे सामान बेचने के लिए बाहर जाने की जरुरत नही पडेगी ।
इससे पहले अमित शाह ने 24 जुलाई को गांधीनगर ज़िले के बालवा गाँव के 40 कुम्हार परिवारों को विदूयत चालित चाक वितरित किए थे। इस योजना के अंतर्गत अब तक गुजरात के 840 कुम्हार परिवारों को विदूयत चालित चाक दिये गए हैं जिससे उन्हे उनके गृह स्थान पर ही रोजगार उपलब्ध हुआ है।
गांधीनगर और अहमदाबाद में बड़ी संख्या में कुम्हार परिवार रहते हैं जो अपनी परंपरागत चाक पर मिट्टी के बर्तन, दीये और गमले आदि बनाकर उन्हें राजस्थान, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में बेचते हैं। ऐसे प्रशिक्षित कुम्हार परिवारों को विदूयत चालित चाक दिये जाने से उनकी उत्पादन क्षमता बढ़ने के साथ ही उनकी आय में वृद्धि भी हुई है। कुम्हार सशस्तिकरण योजना के फलस्वरूप उनकी आय 2,500-3,000 रूपये प्रतिमाह से बढ़कर 10,000 रूपये प्रतिमाह तक हो गई है।