Padmavati

नई दिल्ली : केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता राज्य मंत्री रामदास अठावले ने आज कहा कि मशहूर अभिनेत्री दीपिका पादुकोण को राजपूतों की राजसी परंपराओं का ख्याल रखते हुए विवादास्पद फिल्म “पद्मावती” के घूमर गीत पर नाचने से इंकार कर देना चा​हिये था। अठावले ने यहां संवाददाताओं से कहा कि दीपिका अपनी निजी हैसियत में घूमर गीत पर नाच सकती हैं। लेकिन चित्तौड़गढ़ की रानी पद्मावती राजपूतों की राजसी परंपराओं के चलते किसी सार्वजनिक समारोह में इस गीत पर वैसा नृत्य नहीं कर सकती थीं, जैसा नृत्य इस 31 वर्षीय अभिनेत्री ने संजय लीला भंसाली की विवादास्पद फिल्म में किया है।

उन्होंने कहा, “दीपिका को फिल्म के निर्देशक को साफ मना कर देना चाहिये था कि वह घूमर गीत पर नहीं नाचेंगी। निर्देशक को भी इस गीत को फिल्माने से पहले राजपूत परम्पराओं का अच्छी तरह अध्ययन करना चाहिये था.” उन्होंने चुटकी लेते हुए कहा कि दीपिका को संभवत: यह डर रहा होगा कि अगर वह फिल्म “पद्मावती” के घूमर गीत पर नाचने से इंकार कर देंगी, तो माधुरी दीक्षित इस फिल्म में उनका स्थान ले लेंगी। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि जब तक सेंसर बोर्ड इस फिल्म को हरी झंडी नहीं देता, तब तक​ इसके विज्ञापनों पर भी रोक लगा देनी चाहिये। विवादास्पद दृश्यों को हटाये जाने के बाद ही इस फिल्म को परदे पर उतारे जाने की अनुमति दी जानी चाहिये।

उन्होंने एक सवाल पर कहा कि पाटीदार आरक्षण आंदोलन के नेता हार्दिक पटेल को गुजरात में उनके पूरे समुदाय का समर्थन प्राप्त नहीं है और आरक्षण प्रदान करने के मामले में कांग्रेस तथा इस पार्टी के उपाध्यक्ष राहुल गांधी इस समुदाय का कुछ भला नहीं कर सकते। केंद्रीय मंत्री ने कहा, “अगर गुजरात के पाटीदार समुदाय को आरक्षण चाहिये, तो उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा के वरिष्ठ नेताओं से बात करनी चाहिये। मैं इस ​सिलसिले में दोनों पक्षों के बीच मध्यस्थता के लिये तैयार हूं।” उन्होंने यह भी कहा कि उच्चतम न्यायालय के सुझाव के मुताबिक हिंदुओं और मुसलमानों को अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का मसला आपसी बातचीत के रास्ते सुलझाना चाहिये।

अठावले ने कहा, “मेरी राय में अगर अयोध्या की विवादित जमीन पर दोनों धर्मों की भावनाओं का ख्याल रखते हुए एक तरफ मंदिर और दूसरी तरफ मस्जिद बन जाती है, तो यह मसला हमेशा के लिये सुलझ जायेगा।” उन्होंने बसपा प्रमुख मायावती पर निशाना साधते हुए कहा, “मायावती बार-बार कहती हैं कि वह बौद्ध धर्म स्वीकार कर लेंगी। अगर वह डॉ. भीमराव अम्बेडकर की सच्चे मायनों में समर्थक हैं, तो उन्हें फौरन बौद्ध धर्म कबूल कर लेना चाहिये।”

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