-रामेश्वर डूडी ने सीएम को रिफाइनरी पर सदन में खुली चर्चा की चुनौती दी
जयपुर। राजस्थान विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष रामेश्वर डूडी ने मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे पर आरोप लगाया है कि वे रिफाइनरी जैसे महत्वपूर्ण मुद्दे पर प्रदेष की जनता को गुमराह कर रही हैं। डूडी ने मुख्यमंत्री को चुनौती दी है कि वे राजस्थान विधानसभा का बजट सत्र जो कि 24 अप्रैल से फिर से शुरू हो रहा है, इसमें सदन में पूरे दिन भर रिफाइनरी केे मुद्दे पर चर्चा करायें ताकि प्रदेष की जनता भी रिफाइनरी जैसे महत्वपूर्ण मुद्दे पर सच्चाई जान सके कि मुख्यमंत्री किस कदर भ्रामक तथ्य प्रस्तुत कर रही है। विधानसभा में प्रतिपक्ष ने मुख्यमंत्री पर रिफाइनरी को लेकर लगातार दबाव बनाकर इस मुद्दे को जीवंत रखा, अन्यथा मुख्यमंत्री तो रिफाइनरी को कभी की ठंडे बस्ते में डाल चुकी थीं।
नेता प्रतिपक्ष डूडी ने कहा है कि कांग्रेस शासन में बाड़मेर जिले के पचपदरा में 22 सितंबर 2013 को रिफाइनरी का षिलान्यास हुआ था। यह रिफाइनरी चार वर्ष मंे बनकर निर्मित हो जाती और प्रदेष को वर्ष 2017 से सालाना 20 हजार करोड़ रूपये की आय मिलनी आरम्भ हो जाती। मुख्यमंत्री ने रिफाइनरी के प्रोजेक्ट को चार साल दूर धकेल दिया। इस तरह प्रदेष को प्रत्यक्ष तौर पर 80 हजार करोड़ रूपये के राजस्व का नुकसान मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की हठधर्मिता से पहुंचा है। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि कांग्रेस शासन में रिफाइनरी के षिलान्यास के साथ बाड़मेर जिले में पेट्रो कैमिकल उद्योगों के लिए एक औद्योगिक हब बनाने का संकल्प भी लिया गया था। इससे प्लास्टिक, आॅटोमेटिव, पाइप, टायर, एडेसिव उद्योगों के विकास के साथ ही कुल 129 तरह के प्रोडेक्ट और 500 तरह के उद्योग यहां पनपते। विगत चार वर्षों में इन उद्योगों की मजबूत नींव लग चुकी होती और इससे होने वाली आय और रोजगार से प्रदेष की अर्थव्यवस्था समृद्ध होती। मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की अदूरदर्षिता और विलम्ब से लिये निर्णय की वजह से प्रदेष का विकास चार साल पीछे चला गया।
– राजे की नीयत ही नहीं थी कि बाड़मेर में रिफाइनरी लगे
डूडी ने कहा है कि प्रदेष के बाड़मेर-सांचोर बेसिन के मंगला क्षेत्र में खनिज तेल का व्यावसायिक उत्पादन 29 अगस्त 2009 से ही आरम्भ हो गया था। मंगला, भाग्यम, ऐष्वर्या, सरस्वती एंव रागेष्वरी क्षेत्र से लगभग एक लाख 75 हजार बैरल कच्चे तेल का प्रतिदिन उत्पादन तब से किया जा रहा है। लेकिन रिफाइनरी नहीं लगने से यह कच्चा तेल हिटिंग पाइप लाइन से गुजरात पहुंचता रहा और वहां एक निजी रिफाइनरी को इसका लाभ मिला। डूडी ने आरोप लगाया है कि मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की नीयत ही नहीं थी कि वह बाड़मेर में रिफाइनरी लगाये। मुख्यमंत्री को कांग्रेस पार्टी और जनता के दबाव में यह निर्णय लेना पड़ा है। यदि नीयत होती तो रिफाइनरी को अधरझूल में नहीं रखा गया होता। क्योंकि कच्चे तेल का उत्पादन निरंतर होने और इसके गुजरात पहुंचने से प्रदेष को जो भारी राजस्व की हानि हुई है। उसके लिए मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ही दोषी हैं।
-सीएम सिर्फ ’एमओयू एक्सपर्ट’, फाॅलोअप में फिसड्डी
नेता प्रतिपक्ष रामेष्वर डूडी ने प्रदेष को पहुंची राजस्व हानि का उल्लेख करते हुए कहा कि वित्तीय वर्ष 2013-14 में प्रदेष को क्रूड आॅयल के क्षेत्र में 5905 करोड़ रूपये की राॅयल्टी मिली थी लेकिन प्रदेष की भाजपा सरकार की गलत नीतियों से यह घटते-घटते वर्ष 2016-17 में मात्र 1600 करोड़ रूपये रह गई। जाहिर है कि प्रदेष को क्रूड आॅयल के क्षेत्र में करीब 4300 करोड़ रूपये कम वार्षिक राजस्व प्राप्त हुआ। उन्होंने कहा कि कांग्रेस शासन में भी राज्य सरकार की अंष भागीदारी 26 प्रतिषत थी और अभी भी वही है। जबकि मुख्यमंत्री अपने पूर्ववत्र्ती कई बयानों में दावा करती रही थीं कि 26 प्रतिषत अंष भागीदारी कभी स्वीकार नहीं की जाएगी। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ’एमओयू एक्सपर्ट’ बन चुकी हैं लेकिन किसी भी प्रोजेक्ट के फाॅलोअप में अब तक फिसड्डी रही हैं। ऐसे में आषंका है कि रिफाइनरी को लेकर किये गये एमओयू का भी कहीं वही हश्र नहीं हो जो कि रिसर्जेंट राजस्थान में किये गये 3.21 लाख करोड़ रूपये के एमओयू का हुआ है।