नई दिल्ली। अपनी दबंग लेखनी और रोमांटिक अंदाज में नॉवेल्स लिखकर लाखों-करोड़ों भारतीयों को दीवाना बनाने वाले मशहूर साहित्यकार और लेखक वेदप्रकाश शर्मा का शनिवार को निधन हो गया। वर्दी वाला गुंडा, दहेज, बहू मांगे इंसाफ, कातिल कौन जैसे ख्यातनाम नॉवेल्स से भारतीयों को मंत्रमुग्ध करने वाले वेदप्रकाश शर्मा ने सैकड़ों उपन्यास लिखे। उनके नॉवेल्स के प्रति लोगों में खासी दीवानगी थी और बाजार में आते ही उनका उपन्यास हाथों हाथ बिकता था। वर्दी वाला गुण्डा की पहले ही दिन पन्द्रह लाख से अधिक कॉपी बिकी। करीब आठ करोड प्रतियां बिक चुकी है इसकी। उनके नॉवेल्स की एडवांस बुकिंग होती थी। उत्तरप्रदेश के मेरठ में जन्मे वेदप्रकाश शर्मा को बचपन से ही उपन्यास पढऩे और लिखने का शौक लग गया था। युवा अवस्था में पहुंचते ही जैसे उनकी लेखनी को पंख लग गए। हालांकि वे स्कूलिंग से लिखने लगे थे। स्कूल के दिनों में लिखे गए पेनों की जेल विषयक लेख को काफी सराहा गया। अपनी मेहनत और लेखनी के दम पर वेदप्रकाश ने साहित्यकारों और लेखकों के बीच ना केवल जगह बनाई, बल्कि लेखनी की अलग विधा के माध्यम से शोहरत भी हासिल की। उनके उपन्यास में ड्रामा, रोमांस, थ्रिलर, मानवीयता जैसे सभी प्रमुख बिन्दुओं का समावेश रहता था। लेखनी इतनी मजबूत थी कि कोई पढऩे बैठ जाए तो उसे पूरा पढ़े बिना नहीं रह पाता था। तब उन्हें पब्लिशर्स मुंहमांगे दाम देने को तैयार रहते थे। तब पांच रुपए का एक नॉवेल्स बिकता था, जो बाद में दस रुपए तक पहुंच गया था। सस्ते कागज की लुगदी पर छपने वाला नॉवेल्स की भारी डिमाण्ड रहती थी। हर कोई उन्हें खरीदने के लिए लालायित रहता था।

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