दिल्ली : उप-राष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने कहा कि वह यह नहीं समझ पा रहे कि ‘‘वंदे मातरम’’ गाने में क्या समस्या है। उन्होंने कहा कि ‘वंदे मातरम’ का मतलब ‘‘मां का गुणगान’’ करना है और यह ऐसा गीत है जिसने देश के स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान करोड़ों लोगों को प्रेरित किया था । नायडू ने कहा कि स्वामी विवेकानंद की अनुयायी भगिनी निवेदिता ने लड़कियों के लिए एक स्कूल खोला था और प्रार्थना के गीत के तौर पर ‘वंदे मातरम’ की शुरूआत करा कर उन्होंने छात्राओं में राष्ट्रवादी भावना का संचार करने की कोशिश की थी ।
उप-राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘उन्होंने (भगिनी निवेदिता) स्कूल में प्रार्थना के गीत के रूप में वंदे मातरम की शुरूआत कराई…..अब कुछ लोगों को वंदे मातरम से भी समस्या है । वंदे मातरम क्या है ? माता वंदनम, अम्मा वणक्कम – यही है वंदे मातरम ।’’ नायडू ने कहा, ‘‘कई सालों के बाद अब हम चर्चा कर रहे हैं कि वंदे मातरम अच्छा या है कि नहीं, राष्ट्रवाद और देशभक्ति अच्छी है कि नहीं । हम इन सब चीजों के बारे में बात करने से भी हिचकते हैं ।’’ राष्ट्रवादी कवि सुब्रमण्यम भारती की 96वीं जयंती की स्मृति में आयोजित समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर उन्होंने यह बातें कही । भारती की जयंती कल है। भारती को भावभानी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए नायडू ने कहा कि सुधारवादी कवि चाहते थे कि भारतीय अपनी धरोहर पर गर्व करें।
उप-राष्ट्रपति ने कहा कि भगिनी निवेदिता की तरह भारती को भी वंदे मातरम ने प्रेरित किया था और उन्होंने राष्ट्र गीत की भावना का प्रसार किया था । स्वच्छता के मुद्दे पर भारती और महात्मा गांधी के विचारों को एक जैसा बताते हुए नायडू ने कहा, ‘‘हम देख रहे हैं कि ‘स्वच्छ भारत’ में फिर से साफ-सफाई पर जोर है ।’’ उन्होंने कहा कि रवींद्रनाथ टैगोर की तरह भारती भी चाहते थे कि संकीर्ण घरेलू दीवारें टूटे और जाति व्यवस्था खत्म हो ।
नायडू ने कहा, ‘‘हम जाति, वर्ग, लिंग, क्षेत्र एवं धर्म से परे एक देश और एक लोग हैं । भारत एक है । कोई ऊंचा या नीचा नही है ।’’ उन्होंने कहा कि अगड़ा, पिछड़ा, अल्पसंख्यक, बहुसंख्यक जैसी श्रेणियां ‘‘अन्य उद्देश्यों’’ से बनाई गई हैं, जिसका इस्तेमाल राजनेता अपने हित में कर रहे हैं । 24वें वार्षिक भारती महोत्सव के मौके पर नायडू ने सीबीआई के पूर्व निदेशक डी आर कार्तिकेयन को ‘‘भारती विरुधु 2017’’ सम्मान से नवाजा ।