जयपुर। राजस्थान भाजपा के दिग्गज और तेज तर्रार नेता देवी सिंह भाटी के सक्रिय राजनीति से अलग होने और राजस्थान में लोकतंत्र के बजाय कंपनी राज चलने संबंधी बयान से प्रदेश की राजनीति और पार्टी में खलबली मच गई है। अपने बयानों से संकेत भी दे दिए हैं कि वे एक बार फिर से कोई बड़ा आंदोलन खड़ा कर सकते हैं। भाजपा सरकार और मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के खिलाफ पहले ही पार्टी के वरिष्ठ नेता घनश्याम तिवाड़ी ने प्रदेश में मोर्चा खोल रखा है। अब एक ओर वरिष्ठ व कद्दावर नेता देवी सिंह भार्टी के भी अप्रत्यक्ष तौर पर अपनी ही सरकार के खिलाफ बयानबाजी करके जाहिर कर दिया है कि आने वाले समय में राजस्थान की राजनीति भूचाल लाने वाली हो सकती है। वैसे ही एसबीसी आरक्षण, रोजगार, बिजली, आनन्दपाल सिंह फरारी, कोटा में खाकी-खादी विवाद जैसे मुद्दों पर पार्टी और सरकार पहले से ही संकट में है, अब पार्टी के ही वरिष्ठ नेताओं की बगावती तेवरों से सरकार की परेशानी ओर बढ़ सकती है। सियासी क्षेत्रों में चर्चा है कि राज में काम नहीं होने से कई वरिष्ठ नेता खुद को उपेक्षित समझ रहे हैं। कोई समाधान नहीं देख अब इन नेताओं ने भी अपने तेवर दिखाने की राह चुनी है। पार्टी और सरकार को डर है कि कहीं पार्टी के ये वरिष्ठ और दिग्गज नेता घनश्याम तिवाड़ी, देवी सिंह भाटी, किरोडी लाल मीना, हनुमान बेनीवाल कहीं मिलकर कोई बड़ा भूचाल वाला कदम नहीं उठा ले। अगर इन्होंने कोई पार्टी गठित करके चुनाव लडऩे का ऐलान कर दिया तो पार्टी को विधानसभा चुनाव में भारी नुकसान पहुंच सकता है।
– राजस्थान में कंपनी राज, लोकतंत्र नहीं
भाटी ने यह बयान देकर भाजपा सरकार को ना केवल कठघरे में खड़ा किया है, बल्कि यह भी संदेश दिया है कि प्रदेश में सरकार नाम की कोई चीज नहीं है। कुछ लोगों ने कंपनी की तरह व्यवस्था चला रखी है। शुक्रवार को जोधपुर में पुस्तक के विमोचन समारोह के बाद मीडिया से बातचीत में पूर्व मंत्री देवी सिंह भाटी ने सक्रिय राजनीति से संयास लेने की घोषणा करते हुए कहा था कि वे अब प्रदेश की जनता से साथ मिलकर आंदोलन शुरु करेंगे। भाटी ने कहा कि राजस्थान में कंपनी राज की तरह व्यवस्था चल रही है। इस व्यवस्था से मैं संतुष्ट नहीं हूं। इसलिए वे सक्रिय राजनीति से संयास ले रहे हैं। भाटी ने यह बयान देकर चौंकाया है कि वे अब भविष्य में चुनाव नहीं लड़ेंगे और ना ही कोई राजनीतिक दल बनाएंगे। वे सात बार विधायक रहे। बेटा सांसद रहा। अब चुनाव नहीं लडूंगा। ना ही राजनीतिक दल बनाऊंगा। वैसे भी राजस्थान में तीसरे मोर्चे का कोई अस्तित्व नहीं है। सरकार और मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से नाराजगी संबंधी सवाल पर भाटी ने कहा कि मेरी किसी से भी नाराजगी नहीं है, लेकिन साथ में यह भी कहा कि यदि घर में बोलने नहीं दिया जाए तो कैसे चलेंगी व्यवस्थाएं। सिर्फ खानापूर्ति चल रही है। दो महीने पहले मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे बीकानेर आई थी तब उनसे इस संबंध में बातचीत हुई। लेकिन उनकी अपनी व्यस्तताएं हैं और मेरी अपनी। पार्टी में दायित्व था, लेकिन वहां सिर्फ मूकदर्शक रहना पड़ता था। फिलहाल स्वदेशी जागरण मंच का दायित्व संभाल रहा हूं। अब जनता के मुद्दों पर जनता के साथ खड़े होकर आंदोलन करने की योजना है। देसी इलाज और उसके नुस्खों के माध्यम से जनता को देशी इलाज से जोड़ रहा हूं। कुछ समय बाद बड़ा भूचाल वाला आंदोलन खड़ा करुंगा। भाटी ने कहा कि मेरा प्रयास रहेगा कि प्रदेश में शून्य आधारित अर्थव्यवस्था लागू हो।