जयपुर। उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू सिरोही जिले के माउन्ट आबू में स्थित ब्रह्माकुमारीज के अंतरराष्ट्रीय मुख्यालय शांतिवन में पांच दिवसीय वैश्विक शिखर सम्मेलन को विधिवत शुभारंभ किया। उन्होंने इस अवसर पर अपने संबोधन में आध्यात्म, धर्म, एकता, शांति, समृद्धि, पर्यावरण पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए कहा कि आध्यात्म भारत की पुरातन संस्कृति है। गीता स्वयं ईश्वरीय उपदेश है। महावीर स्वामी, गौतम बुद्ध, स्वामी विवेकानंद, संत रविदास, गुरुनानकदेव आदि महापुरुषों- संतों ने समाज को आध्यात्म के जरिए नई दिशा दी है।
उन्होंने कहा कि ब्रह्माकुमारीज संस्थान भी आध्यात्म और राजयोग मेडिटेशन का संदेश विश्व के 140 देशों में अपने आठ हजार से अधिक सेवा केंद्रों के माध्यम से दे रहा है। उन्होंने कहा कि आध्यात्म से ही विश्व में एकता, शांति, समृद्धि आएगी। हमारा विश्वास, हमारी निष्ठा वसुधैव कुटुम्बकम् में रही है। सर्वे भवंतु सुखिन, सर्वे संतु निरामया की भावना की हमारी संस्कृति है। जीओ और जीने दो की परिपाटी है। माधव सेवा ही मानव सेवा हमारा संस्कार रहा है। स्वयं को खोजना ही आध्यात्म है।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि आध्यात्म ही धर्म का मूल उद्देश्य है। अपने अस्तित्व का वही विश्लेषण कर सकता है जो खुद से प्रश्न करना जानता हो और अपनी खोज करने में समर्थ रखता हो।
आध्यात्मिक ज्ञान से ही दुनिया में शांति और सद्भाव आ सकता है। आध्यात्मिक ज्ञान में ही वह शक्ति है जो विश्व को एकता के सूत्र में बांध सकता है।
उन्होंने कहा कि हमारे कल्चर में नेचर के प्रति प्यार होना चाहिए तो फ्यूचर बैटर होगा। उन्होंने कहा कि ब्रह्माकुमारी संस्था जल संरक्षण, पर्यावरण संरक्षण को लेकर बहुत बहुत गंभीरपूर्वक प्रयास कर रही है। संस्था द्वारा हर वर्ष विश्वभर में न केवल लाखों की संख्या में पौधे रोपे जा रहे हैं बल्कि उनका एक परिवार की तरह पालन-पोषण करना पर्यावरण संरक्षण में महत्वपूर्ण योगदान है।
राज्यपाल श्री कलराज मिश्र ने कहा कि आध्यात्मिकता महत्वपूर्ण और गंभीर विषय है। व्यक्ति-व्यक्ति से संबंधित है। अपनी आत्म जागृति को जागृत करना ही आध्यात्म है। पाप-पुण्य के विश्लेषण से अनुशासन की भावना जागृत होती है। इससे ही विश्व में शांति और समृद्धि आएगी। ये गौरव का विषय है कि ब्रह्माकुमारी संस्था नारी शक्ति द्वारा संचालित वैश्विक संगठन है। जो आध्यात्मिक ज्ञान से आगे बढ़ रही है और समाज को सकारात्मकता की ओर ले जा रही है। संस्था 83 वषोर्ं में विश्वभर में आध्यात्मिक ज्ञान को पहुंचाया है। 103 साल की उम्र में भी दादी जानकी इसकी कुशल प्रशासक हैं ये योग से ही संभव है। नारी का आध्यात्मिक शक्तिकरण देवत्व के भाव को साकार कर रहा है। संस्था हर वर्ष लाखों की संख्या में पौधारोपण कर पर्यावरण बचाने का अभिनव प्रयास कर रही है। यहां से मानव जीवन को सुखी और समृद्ध बनाने का प्रयास किया जा रहा है आज ऎसे प्रयासों की दुनिया को जरूरत है।
संस्था की मुखिया दादी जानकी ने कहा कि सदा याद रखें मैं (आत्मा) कौन और मेरा (परमात्मा) कौन हम सभी एक परमात्मा की संतान हैं। परमात्मा हम सभी आत्माओं के पिता, शिक्षक, सखा और सद्गुरु हैं। आध्यात्म के ज्ञान से ही दुनिया बदलेगी।
केंद्रीय जल संसाधन मंत्री श्री अर्जुनराम मेघवाल ने कहा कि आध्यात्म और पर्यावरण समन्वय समय की मांग है। सरकारी की ओर से चलाईं जा रही योजनाओं को ब्रह्माकुमारी संगठन का समय अनुरूप पर्याप्त सहयोग मिल रहा है। इस भागीरथ कार्य में समाज के हर वर्ग को एकजुट होकर अपनी सहभागिता सुनिश्चित करनी होगी।
संस्था की संयुक्त मुख्य प्रशासिका दादी रतनमोहिनी ने कहा कि भले हम शारीरिक रूप से अलग-अलग देशों, वगोर्ं से हैं लेकिन हम सभी एक ही परमात्मा पिता के बच्चे हैं। परमात्मा हम सबका है। इस भावना से ही विश्व का नवनिर्माण होगा।
वन राज्यमंत्री श्री सुखराम विश्नोई, ब्रह्माकुमारी संगठन के महासचिव बीके निर्वैर, कार्यक्रम के संयोजक बीके मृत्युंजय, संस्थान की कार्यक्रम निदेशिका बीके मुन्नी बहन, बीके हंसा बहन ने भी अपने विचार रखे।
इस अवसर पर स्थानीय जन प्रतिनिधि संबंधि अधिकारी मौजूद थे।