नई दिल्ली। रिलायंस जियो का टेलीकॉम मार्केट में जिस तरह प्रभाव लगातार बढ़ता जा रहा है। उससे अब टेलीकॉम कंपनियों को अपने अस्तित्व की लड़ाई से जूझना पड़ रहा है। यही वजह रही कि भारत की दूसरी सबसे बड़ी टेलीकॉम कंपनी वोडफोन ने अब आइडिया के साथ विलय करने का ऐलान कर दिया है। दोनों का विलय होने से अब यह संयुक्त उपक्रम देश की सबसे बड़ी टेलीकॉम कंपनी के रुप में लोगों के सामने आएगा। स्थिति को देखे तो वर्तमान में भारती एयरटेल अपने 28 करोड़ ग्राहकों के साथ देश की नंबर वन टेलीकॉम कंपनी बनी हुई है। वोडाफोन और आइडिया के आपस में विलय होने के बाद अब देश के टेलीकॉम सेक्टर में एक बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा। वहीं वोडाफोन की ओर से एक बयान भी जारी किया गया है जिसमें यह कहा गया कि दोनों कंपनियां मिलकर देश में अब जल्द ही 5जी सेवा लांच करेंगी। वहीं अपनी 4जी सेवाओं को बेहतर बनाया जाएगा। इस नए उपक्रम की कमान चेयरमैन कुमार मंगलम बिड़ला संभालेंगे। रेवन्यू हिस्सेदारी के तौर पर 40 फीसदी के साथ 38 करोड़ से ज्यादा ग्राहक होंगे। वोडाफोन और आइडिया के मर्ज होने को लेकर जो अनुबंध हुआ है। उसके अनुसार इस संयुक्त उपक्रम के चेयरमैन आइडिया से होंगे। वहीं दोनों ही कंपनियां मिलकर चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर व चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर की नियुक्ति करेंगी। वोडाफोन की ओर से तीन निदेशक नियुक्त होंगे। अभी तक जो जानकारी सामने आई है उसके अनुसार 2018 तक यह प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगा। जिसके बाद ही दोनों कंपनियां एक हो जाएंगी। इसमें 45.1 प्रतिशत शेयर वोडाफोन के तो 26 प्रतिशत शेयर आइडिया के होंगे। शेष शेयर होल्डर्स के होंगे। इधर दोनों कंपनियों के हाथ मिलाने के बाद रिलायंस जियो और भारती एयरटेल के माथे पर पसीना आ गया है। इस विलय से दोनों ही कंपनियों को खासा नुकसान होगा। एयरटेल ने जहां टेलीनॉर को खरीदा और अपने 4जी नेटवर्क को प्रभावी बनाने के लिए तीकोना डिजिटल नेटवर्क से स्पेक्ट्रम खरीद रही है। जिसकी वैल्य 1500 से 1700 करोड़ रुपए तक होने की उम्मीद है। इसी तरह रिलायंस जियो न केवल मोबाइल सर्विस वरन दूसरी अन्य सर्विस के जरीए भी ग्राहकों को रोकने की कोशिश करेगी। इस लिहाज से बाजार में टैरिफ वॉर तेज होगा।

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