जयपुर। यूं तो सूरज का तेज अथाह जल राशि को भी सोख लेता है लेकिन जनजाति बहुल बांसवाड़ा जिले की बिखरी बस्ती, मजरें और ढाणियों में निर्बाध रूप से शुद्ध पेयजल की आपूर्ति करने में रोशनी के असीम स्रोत सूर्य की तपन बड़ी मददगार साबित हो रही है। जनजाति अंचल की इन बिखरी बस्तियों के निवासियों के हलक को तर करने में सूर्य की किरणों के सहयोग से राज्य सरकार की संवेदनशील सोच को मूर्त रूप प्रदान करने का माध्यम बना है बांसवाड़ा का जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग, जिसने इस क्षेत्र में शुद्ध पेयजल मुहैया करवाने के लिए जिले की 25 ढाणियों में सौर ऊर्जा से संचालित सोलर बोरवेल प्लान्ट (सोलर पनघट) को स्थापित किया है।
क्षेत्रीय आवश्यकताओं को अनुभूत करते हुए जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग द्वारा हर गांव-ढाणी तक शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने की सरकार की मंशा को पूर्ण करने के लिए राज्य सरकार द्वारा स्वीकृत कार्ययोजना के तहत जिले की चुनिंदा 25 ढाणियों में सौर ऊर्जा से संचालित सोलर बोरवेल प्लान्ट को स्थापित किया गया वहीं जिले के गुणवत्ता प्रभावित 189 समस्याग्रस्त मजरें-ढाणियों के लिए 189 सोलर ऊर्जा से संचालित सोलर डिफ्लोरिडेशन यूनिट प्लान्ट की स्थापना भी की गई है। जिले के जिन क्षेत्रों में भू-जल स्तर अधिक है एवं भू-जल गुणवत्ता प्रभावित नहीं है ऎसे क्षेत्रों में सौर ऊर्जा से संचालित बोरवेल प्लान्ट की स्थापना की गई है। सोलर बोरवेल प्लान्ट के अंर्तगत फोटोवोल्टिक सैल पैनल, सौर ऊर्जा से संचालित पम्प मोटर, एवं पानी भरने के लिये 5000 अथवा 2000 लीटर के पी.वी.सी टैंक की स्थापना की गई है। उन्होंने बताया कि सूर्य की किरणें सोलर पैनल पर पडती है तो पैनल में लगे फोटोवोल्टिक सैल सूर्य की किरणों को करन्ट में बदल देते है, जिससे बोरवैल में स्थापित सबमर्सिबल पम्प मोटर चालू हो जाती है एवं टंकी को भरकर शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराया जाता है।
जिन क्षेत्रो में भू-जल में रासायनिक अशुुद्धि के रुप में फ्लोराईड है, ऎसे क्षेत्रों में सोलर ऊर्जा से संचालित सोलर डिफ्लोरिडेशन यूनिट प्लान्ट स्थापित किए गए हैं जिसमें ग्रामवासियों को पी.एस.पी के माध्यम से फ्लोराईड रहित शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराया जाता है।