जयपुर. राजस्थान में भाजपा की अंदरूनी गुटबाजी खुलकर सामने आ गई है। केंद्रीय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल के उगते हुए सूरज सतीश पूनिया के नेतृत्व में देखना शुरू करो, उगते सूरज को पानी चढ़ाओ के बयान पर नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने पलटवार करते हुए सरदारशहर (चूरू) में कहा हम किसी नेता के नौकर नहीं है। ठीक तरह से नेता भी अपने आप को समझ लें। मेघवाल और कटारिया की इस बयानबाजी ने पार्टी में हलचल मचा दी है। केंद्रीय मंत्री मेघवाल बीजेपी हाईकमान के नजदीकी माने जाते हैं। पीएम मोदी से लेकर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से उनके निकट और अच्छे पॉलिटिकल संबंध हैं। इसलिए माना जा रहा है उन्होंने ‘उगते सूरज’ और ‘डूबते सूरज’ शब्दों का इस्तेमाल कर भाजपा का पूरा सियासी नेरेटिव बदलने की मुहिम शुरू कर दी है। हालांकि मेघवाल ने जब यह बात कही उस वक्त प्रदेश बीजेपी के सभी प्रमुख नेता सभागार में मौजूद थे, लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और प्रदेश प्रभारी अरुण सिंह मौजूद नहीं थे। उन्होंने पूनिया को तो उगता सूरज बताया, लेकिन डूबते सूरज का बिना नाम लिए बेहद चतुराई से सियासी मैसेज भी दे दिया है। उनका ये बयान सीएम फेस को लेकर बीजेपी में चल रही खींचतान की तरफ इशारा माना जा रहा है। बीजेपी में अर्जुनराम मेघवाल और सतीश पूनिया एक ही गुट के माने जाते हैं। मेघवाल का समर्थन करते हुए जयपुर में उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने कहा पूनिया तो हमारी पार्टी में पूर्ण सूरज हैं। वो हमारे अध्यक्ष हैं और उनका नेतृत्व चल रहा है। मेघवाल के बयान से एक दिन पहले 12 नवंबर को सरदारशहर में विधानसभा उपचुनाव का प्रत्याशी तय करने के लिए तेरापंथ भवन में बैठक रखी गई थी। इसमें कार्यकर्ताओं को मंच से संबोधित करते कटारिया ने कहा था किसी प्रत्याशी को चुनाव लड़ाने से पहले आप सबको जान, समझकर, मतदाता और गांव की भावना को समझकर ही निर्णय करेंगे।
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