delhi. उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने कहा है कि भारत शांति प्रिय देश है और अपने सभी पड़ोसियों के साथ मित्रता चहता है। भारत अपने अंदरूनी मामलों में किसी का हस्तक्षेप नहीं चाहता और जो दखल देगा उसे उचित जवाब दिया जाएगा। उपराष्ट्रपति ने आतंकवादी संगठनों को करारा जवाब देने के लिए भारतीय सशस्त्र सेना की प्रशंसा की।
नायडू स्वयं सेवी संगठन माई होम इंडिया की 13वीं वर्षगांठ पर आयोजित समारोह को संबोधित कर रहे थे। यह स्वयं सेवी संगठन पूर्वोत्तर भारत में जनजातीय तथा पिछड़े वर्गों में सामाजिक, सांस्कृतिक तथा शैक्षिक जागरण का कार्य करता है।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि प्राचीन समय से भारत की परम्परा और आचार-व्यवहार, सुख-दुख साझा करने का रहा है। हमारा हमेशा विश्वास रहा है कि विश्व एक परिवार है यह ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ की भावना में प्रकट होता है। हमारा हमेशा मानवता में विश्वास रहा है और हम पूरी दुनिया के नागरिकों के साथ सौहार्दपूर्ण और मित्रतापूर्ण संबंध रखते है।
नायडू ने कहा कि विविधता में एकता हमारा केंद्रीय स्तम्भ है और इसी आधार पर हमारे राष्ट्र निर्माताओं ने बहुभाषी संस्कृतिक रूप से सम्पन्न और विविधतापूर्ण देश बनाया है। उन्होंने कहा कि हमें एकता मजबूत बनानी होगी और देश में सभी क्षेत्रों के लोगों के बीच संबंध बनाना होगा।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि भौगोलिक सीमाएं देश के मैदानी इलाकों और पूर्वोत्तर राज्यों के बीच बाधा रही है। उन्होंने कहा कि अच्छी कनेक्टिविटी, सड़कों के विस्तार तथा रेल नेटवर्क और विमान कनेक्टिविटी से बाधाएं कम हुई है और अब भारतीय देश के एक हिस्से से दूसरे हिस्से में कुछ ही घंटों में पहुंच सकते है।
नायडू ने कहा कि पुलवामा में सीआरपीएफ के जवानों पर आतंकवादियों का जानलेवा हमला आतंकवादियों को अलग-थलग करने और आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले देशों के विरुद्ध प्रतिबंध की आवश्यकता दिखाता है। उन्होंने कहा कि विश्व समुदाय को एकजुट होकर आतंकवाद के खतरे को समाप्त करने के लिए कठोर कदम उठाना चाहिए। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र को अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद पर व्यापक समझौता आवश्यक रूप से पूरा किया जाना चाहिए और इस प्रक्रिया में किसी तरह की देरी नहीं की जानी चाहिए।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि विश्वविद्यालयों और कॉरपोरेट कार्यालयों को विभिन्न क्षेत्रों के लोगों के बीच संबंध बनाने पर नियमित कार्यशाला आयोजित करनी चाहिए। इसी तरह पूर्वोत्तर क्षेत्र के लोगों को संगीत, नृत्य, सिनेमा तथा कला की अन्य विधाओं सहित देश की दूसरी सांस्कृतिक परम्पराओं को अपनाना चाहिए।