कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए 24 मार्च 2020 को जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रात 12 बजे से देश भर में लाॅकडाउन की घोषणा की थी तो पूरा देश खौफ के साए में था। एक अनजानी बीमारी जिसका ना इलाज था, ना बचाव के पुख्ता तरीके थे और ना ही हमारी स्वास्थ्य सेवाओं का ढांचा इतनी बड़ी महामारी को झेलने की ताकत रखता था। इसके बावजूद इस देश ने बहुत हिम्मत और दिलेरी के साथ इस महामारी का मुकाबला किया और ना सिर्फ मुकाबाला किया, बल्कि सिर्फ एक साल में मास्क और पीपीई किट से लेकर वैक्सीन तक बना डाली। अब एक बार फिर कोरोना का संक्रमण बढ़ने की आशंका दिख रही है। देश भर में पाॅजिटिव मामलों की संख्या बढ़ रही है और कहा जा रहा है यह दूसरी लहर पहले के मुकाबले ज्यादा तेजी से फैलेगी। ऐसे समय में हम खुद को यह तसल्ली दे सकते हैं कि अब हमारे पास वैक्सीन का हथियार है, मास्क और पीपीई किट मौजूद हैं, स्वास्थ्य सेवाओं का ढांचा तैयार हो गया है, जरूरत है तो सिर्फ इतनी कि एक जिम्मेदार नागरिक के रूप में हम कोविड प्रोटोकाॅल का सख्ती से पालन करें।
वर्ष 2020 इस मायने में एक ऐतिहासिक वर्ष रहा कि हमने एक राष्ट्र के रूप में पूरी तरह से एकजुट हो कर इस वैश्विक महामारी का मुकाबला किया। मार्च 2020 मे जब कोरोना संक्रमण के मामले तेजी से बढ़ रहे थे तो यह सच्चाई है कि हमारा देश इसके मुकाबले के लिए ना मानसिक तौर पर तैयर था और ना स्वास्थ्य सेवाओं और सुविधाओं की दृष्टि से तैयार था। चीन, फ्रांस, ब्रिटेन और अमेरिका जैसे विकसित देशों में इस महामारी ने जो कहर बरपाया था, वह हमें डराने के लिए काफी था। राजस्थान उन प्रदेशों में था, जिसने सबसे पहले लाॅकडाउन घोषित किया और फिर केन्द्र सरकार ने कमान सम्भाली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हालात की गम्भीरता को समझते हुए देश में 21 दिन का लाॅकडाउन घोषित किया। आजादी के बाद यह पहला मौका था, जब पूरा देश 21 दिन के लिए थम गया था। एक अनजान भय ने लोगों को घरो में कैद कर दिया था, लेकिन यही वह समय था, जब इस देश ने यहां के लोगों के सेवाभाव और एक-दूसरे की सहायता करने के जज्बे को देखा। यही वह समय भी था, जब उद्यमी आगे आए और पीपीई किट्स का उत्पादन शुरू किया, यही वह समय भी था, जब घर-घर में मास्क बनने लगे और यही वह समय भी था, जब गरीबों को खाना खिलाने के लिए घर-घर से अतिरिक्त भोजन बन कर निर्धन बस्तियों और पैदल ही अपने घरों को निकले श्रमिकों तक पहुंचा। कानून व्यवस्था सम्भालने वाली पुलिस लोगों को पंगत में बैठा कर भोजन कराती नजर आई, मोहल्लों में घूम-घूम कर लोगों की जागरूक करती नजर आई। लगातार तेज होती गर्मी के बाजवूद हमारे स्वास्थ्यकर्मी कई-कई दिनों तक उस पीपीई किट को पहन लोगों का उपचार करते दिखे, जिससे हवा का एक कण भीतर नहीं जा सकता था। संक्रमण के खतरे के बावजूद सफाईकर्मी अपने काम में पहले से ज्यादा जुटे नजर आए।
लोगों के इसी जज्बे और केन्द्र व राज्य सरकारों द्वारा समय पर किए गए सही निर्णयों से ही 2020 बीतते हम ना सिर्फ इस महामारी से भली-भांति परिचित हो गए, बल्कि हमने मास्क से लेकर फेसशील्ड और पीपीई किट से लेकर उपचार की दवाइयां और वैक्सीन तक बना डाली। स्वास्थ्य सेवाओं में जबर्दस्त सुधार हुआ और 135 करोड की इस आबादी के देश में चीन, फ्रंास, ब्रिटेन और अमेरिका जैसे खौफनाक दृश्य कभी नजर नहीं आए।
वर्ष 2021 में जब हमने प्रवेश किया तो कोरोना का संक्रमण काफी हद तक नियंत्रण में आ गया था और जनवरी में जब देश भर में वैक्सीनेशन का अभियान शुरू हुआ तो हम उन विकसित देशों से कहीं आगे थे, जो उस समय भी इस महामारी से जूझ रहे थे। हमने वैक्सीन सिर्फ अपने लिए बनाई, बल्कि उन छोटे और जरूरतमंद देशों को भी भेजी जो इसके निर्माण के लिए सक्षम नहीं थे। लेकिन नए साल की शुरूआत ने हमें कुछ हद तक लापरवाह भी बनाया। देश जब अपनी गति की ओर लौट रहा था, तब हम शायद यह भूल गए कि कुछ दिनों पहले तक हम किस दौर से गुजर रहे थे। हमारी इस लापरवाही ने ही कोविड-19 को एक बार फिर पैर पसाने का मौका दिया है। देश भर में कोविड संक्रमण के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। महाराष्ट्र, गुजरात, हरियाणा, तमिलनाडु जैसे राज्यों में स्थिति विस्फोटक होती जा रही है। राजस्थान में भी पिछले एक सप्ताह के दौरान पाॅजिटिव मरीजों की संख्या तेजी से बढी है और आंकडा 600 के पार चला गया है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हालात की गम्भीरता को समझते हुए एक बार मुख्यमंत्रियों से चर्चा कर चुके हैं। वहीं राज्य में भी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सभी सम्बद्ध पक्षों और विशेषज्ञों से चर्चा कर आठ शहरों में नाइर्ट कफर्यू जैसा सख्त कदम उठा चुके हैं।
यह सही है कि अब हमारे पास वैक्सीन का हथियार है। वैक्सीनेशन के मामले में हम देश के रूप में दुनिया के कई देशों से बहुत आगे हैं। स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार 23 मार्च को सुबह 8.30 बजे देश भर में चार करोड 84 लाख 94 हजार से ज्यादा लोग वैक्सीन लगवा चुके थे। वहीं राजस्थान की बात करें तो 22 मार्च तक 38 लाख 83 हजार 490 लोगों को वैक्सीन की पहली डोज और छह लाख 58 हजार 50 लोगो को दूसरी डोज लग चुकी थी। इस तरह कुल 45 लाख 41 हजार 540 लोगों का वैक्सीनेशन हो चुका था। राजस्थान में प्रतिदिन औसतन दो लााख से ज्यादा वहीं, देश भर में औसत 35 लाख से ज्यादा लोगों को वैक्सीन लगाए जाने से यह तो स्पष्ट है कि जनता इस बीमारी को लेकर सजग और जागरूक है।
बस, अब जरूरत इस बात है कि युवाओं की एक बहुत बड़ी आबादी जो अभी वैक्सीनेशन के तीसरे चरण में शामिल नहीं है, लेकिन रोजमर्रा की गतिविधियों के लिए सबसे ज्यादा बाहर निकल रही है, वह मास्क, उचित सामािजक दूरी और बार-बार हाथ धोने या सेनेटाइजर का इस्तेमाल करने के कोविड प्रोटोकाॅल का सख्ती से पालन करे। ये उपाय ही बचाएंगे, क्योंकि वैक्सीनेशन के मामले में सरकार की अपनी सीमाएं है, आखिर इतना बड़ा देश है। वैसे भी इस महामारी से बचाव के उपायों के बारे में अब किस को कुछ बताने की जरूरत बची नहीं है। पिछले एक साल से हम इसके बारे में इतना जान चुके हैं, कि शायद हम जीवन भर इसे नहीं भूल सकते, इसलिए जरूरत सिर्फ इसी बात की है कि हम अपनी जिम्मेदारी समझें। खुद को बचाएं, दूसरो को बचाएं। अब हमारे पास हथियार सारे हैं, बस हमंें इनका सही ढंग से इस्तेमाल करना है, ताकि मार्च से मई 2020 के दृश्य एक बार फिर ना देखने पडें़।

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