Solarpower Image

जब कंपनियों पर भारी जुर्माना तो निरीक्षण करने वाले अभियंताओं को क्यों छोड़ा?
– सोलर प्लांट उपकरणों की आपूर्तिकर्ता फर्मों व कंपनियों के कारखानों का निरीक्षण करके ओके रिपोर्ट देने वाले अभियंताओं को क्लीनचिट दिए जाने पर अजमेर डिस्कॉम में उठ रहे हैं सवाल। जब कंपनियों को दोषी ठहरा रिकवरी के आदेश हुए हैं तो निरीक्षण करने वाले अभियंताओं पर कार्यवाही क्यों नहीं की? अजमेर डिस्कॉम की जांच कमेटी की रिपोर्ट संदेह के घेरे में, निरीक्षणकर्ता अभियंताओं को बचाने के लग रहे हैं आरोप।
– राकेश कुमार शर्मा
जयपुर। भारत सरकार की कुसुम योजना में सोलर प्लांट उपकरणों की अधिक दरों पर खरीद कर सरकारी कोष को  21 करोड़ रुपये की चपत लगाने और वित्तीय अनियमितता के मामले में अजमेर डिस्कॉम की जांच कमेटी सवालों के घेरे में है। जांच रिपोर्ट में कमेटी सदस्यों ने सोलर उपकरण कंपनियों व फर्मों का निरीक्षण करने वाले अभियंताओं पर किसी तरह की कार्यवाही नहीं करके एक तरह से उन्हें क्लीनचिट दे दी है, जबकि कमेटी सदस्यों ने फर्मों व कंपनियों को दोषी मानते हुए भारी कॉस्ट लगाते हुए रिकवरी के आदेश दिए हैं। सवाल उठ रहे हैं कि जब कंपनियों व फर्मों पर भारी रिकवरी निकाली गई है तो निरीक्षण कर्ता अभियंताओं को क्यों छोड़ा गया है। करोड़ों रुपयों की वित्तीय अनियमितताओं के इस मामले में अभियंताओं पर कार्यवाही की सिफारिश क्यों नहीं की गई। कार्यवाही नहीं करके चहेते अभियंताओं को बचाने का प्रयास किया गया है। गौरतलब है कि जांच कमेटी ने करीब एक दर्जन फर्मों व कंपनियों पर तय मानकों के हिसाब से सोलर उपरकरण नहीं भेजने को लेकर भारी कॉस्ट लगाई है। साथ ही तय मानकों के हिसाब से फर्मों को उपकरण लगाने को कहा है। फर्मों पर करीब दस करोड़ रुपये की रिकवरी निकलने का अनुमान है। हालांकि इतनी बड़ी वित्तीय अनियमितता और खराब उपकरण लगाने के मामले में जांच कमेटी ने सिर्फ हर्जाना लगाकर कंपनियों को एक तरह से बचाने का प्रयास किया है। जबकि उक्त कंपनियों व फर्मों को ब्लैकलिस्ट करके आपराधिक कार्यवाही की सिफारिश की जानी चाहिए थी। राज्य सरकार की जांच कमेटी ने भी इस मामले में वित्तीय अनियमितताएं तो मानी, लेकिन दोषी अभियंताओं व अफसरों पर कार्यवाही की सिफारिश नहीं की है।
– सुबह गए और शाम को आकर दे दी ओके रिपोर्ट
सोलर उपकरण कंपनियों का निरीक्षण करने वाले अभियंताओं को लेकर चर्चा है कि इन्हें एक या दो दिन में ही अजमेर, राजस्थान से दूसरे राज्यों के शहरों में जाकर कंपनियों के कारखानों में रखे उपकरणों का निरीक्षण करने और जांच रिपोर्ट तैयार करने की महारत है। एकाध तो ऐसे हैं जो एक ही दिन यानि सुबह निकले और शाम होते होते तो निरीक्षण करके आ जाते हैं। ये हम नहीं निरीक्षणकर्ता अभियंताओं के रेल, हवाई व टैक्सी टिकट बयां कर रही है। निरीक्षणकर्ता अभियंताओं को उपकरण बनाने वाली कंपनियों के अलग-अलग कारखानों पर जाना होता है। फिर उपकरणों की क्वालिटी, उनमें लगने वाले सामान और कारखाने में उक्त सामान बनने की कैपेसिटी समेत कई पहलुओं की जांच करनी होती है। उक्त कार्यवाही की फोटो होती है और मौके पर ही निरीक्षण रिपोर्ट तैयार होती है। इस मामले में फौरी कार्यवाही करके रिपोर्ट दे दी गई। यह सरकार और अजमेर डिस्कॉम की जांच रिपोर्ट कह रही है। जांच रिपोर्ट में फर्मों पर आरोप तय हुए हैं और जुर्माना लगाया गया है, उसे देखकर लगता नहीं है कि उक्त दोषी फर्मों व कंपनियों का निरीक्षण सही तरीके से हुआ है। अगर निरीक्षण सही होता तो कंपनियां कमतर क्वालिटी के उपकरणों की आपूर्ति नहीं करती और ना ही किसानों के यहां ऐसे उपकरण लग पाते। जांच कमेटी ने जानते-बुझते हुए अपने लोगों को बचाने का प्रयास किया है। दोषी फर्मों व कंपनियों की जद में आधा दर्जन से अधिक अभियंताओं पर कार्यवाही हो सकती थी, अगर जांच कमेटी निष्पक्ष तरीके से रिपोर्ट देती तो।
– जयपुर डिस्कॉम में विंग, अजमेर में चहेतों को बांटी रेवडिय़ां
डिस्कॉम में रजिस्टर्ड फर्मों व कंपनियों के सामानों की जांच के लिए जयपुर डिस्कॉम में अलग से एक विंग बना रखी है। इस विंग में शामिल अभियंता ही आपूर्तिकता फर्मों के कारखानों व गोदामों पर जाकर उपकरणों का निरीक्षण करते हैं। सैम्पल लेते हैं और उनकी जांच करवाकर रिपोर्ट तैयार करवाते हैं। जबकि अजमेर डिस्कॉम में इस तरह की कोई विंग नहीं है। अजमेर डिस्कॉम प्रबंधन ने यहां सिर्फ उन चहेते अभियंताओं को ही निरीक्षण के कार्य में लगा रखा है, जो मुखिया के कहे अनुसार मन-माफिक रिपोर्ट तैयार करके दे दे। चाहे कंपनियां उपकरण बनाने में सक्षम हो या नहीं हो? उपकरण क्वालिटी के हो या नहीं हो? इससे कोई फर्क नहीं है। इसके एवज में अभियंताओं की भी मौज है। डिस्कॉम से आने-जाने के खर्चें व भत्ते तो मिलते हैं ही, कंपनियां भी मनमाफिक रिपोर्ट देने वाले निरीक्षणकर्ता अभियंताओं को उपकृत करने से नहीं चूकती है। बताया जाता है कि कई बार तो बिना गए ही निरीक्षण रिपोर्ट ऑफिस या होटल में तैयार हो जाती है। महंगे गिफ्ट, आने-जाने के हवाई टिकट व परिवार घूमने के टूर पैकेज तो बहुत मामूली बात है।
– अजमेर डिस्कॉम में ये करते हैं निरीक्षण
अजमेर डिस्कॉम में आधा दर्जन से अधिक अधिशाषी अभियंता व अभियंता है। एचआर नाराणियां, आर.के.अनुरागी, एम.एल.प्रज्ञापति, अमित पंवार, एस.पी.सिंह, रवि काला, एस.के.नागरानी आदि फर्मों व कंपनियों के निरीक्षण टीम में शामिल है। जांच कमेटी ने  गणेश इलेक्ट्रिकल प्राइवेट लिमिटेड अहमदाबाद, नवदुर्गा इलेक्ट्रोकंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड जयपुर (जेवी सनलाइट सोलर प्राइवेट लिमिटेड अहमदाबाद गुजरात), ट्रोम सोलर गांधी नगर गुजरात (जेवी कौशल इलेक्ट्रिकल गाधी नगर),  यूएम ग्रीन लाइटिंग प्राइवेट लिमिटेड दिल्ली, प्रीमियर सोलर सिस्टम प्राइवेट लिमिटेड हैदराबाद,  नोवस ग्रीन एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड सिकंदराबाद, सीएसए कार्पोरेशन प्राइवेट लिमिटेड, एसपी एंटरप्राइजेज रांची, सोलेक्स एनर्जी प्राइवेट लिमिटे गुजरात,  एसेस सोलर लिमिटेड हैदराबाद, राजस्थान इलेक्ट्रिकल एण्ड ई.लि.जयपुर,
कौशल इंजीनियर प्रा.लि.अहमदाबाद गुजरात पर जुर्र्माना लगाते हुए रिकवरी के आदेश दिए हैं। निरीक्षण टीम में शामिल अभियंताओं में से ही उक्त कंपनियों का निरीक्षण करके रिपोर्ट दी गई है। जांच कमेटी ने निरीक्षणकर्ताओं पर कोई कार्यवाही नहीं की है।
– अभियंताओं पर 16 सीसी की कार्यवाही होनी चाहिए
जांच रिपोर्ट में जिस तरह से फर्मों व कंपनियों पर रिकवरी निकाली गई है, उससे लगता है कि अधिकारियों ने सही तरीके से निरीक्षण नहीं किया। गलत निरीक्षण रिपोर्ट के चलते ही डिस्कॉम को घटिया उपकरण मिले हैं और किसानों के यहां लगा भी दिए। यह एक तरह से अभियंताओं का सेवादोष है।  राजस्थान सेवा नियमों के तहत दोषी फर्मों का निरीक्षण करने वाले अभियंताओं पर भी सोलह सीसी के तहत कार्यवाही होनी चाहिए। यह एक तरह से सेवानियमों का सेवादोष, पद के दुरुपयोग और आपराधिक सांठगांठ का मामला भी लगता है। राज्य सरकार को इन पर कानूनी व अनुशासनात्मक कार्यवाही अमल में लानी चाहिए।
शिवचंद साहू वरिष्ठ अधिवक्ता
पूर्व अध्यक्ष दी बार एसोसिएसन जयपुर।

LEAVE A REPLY