राजस्थान के भरतपुर जिले में रसद विभाग व पुलिस टीम ने गेहूं के साथ मिट्टी मिलाते हुए लोगों को पकड़ा है। पकड़े गए लोग गेहूं में मिट्टी मिलाकर कट्टों में भर रहे थे। ये कट्टे राशन डीलरों को भेजे जाने थे और राशन डीलरों से बीपीएल परिवारों को यह गेहूं वितरण होना था। लेकिन यह गेहूं राशन डीलरों तक पहुंचता, इससे पहले ही रसद व पुलिस विभाग की टीम ने गोदाम पर छापकर गेहूं में मिट्टी की मिलावत करते हुए कुछ लोगों का पकड़ा। जिस गोदाम में यह गोरखधंधा पकडा वह एक जनप्रतिनिधि का था और उसके पास गेहूं वितरण सप्लाई का ठेका था, लेकिन कुछ दिनों पहले ही यह ठेका दूसरे के पास चला गया।
ठेका निरस्त होने के बाद भी ये लोग मिलावट करते हुए धरे गए। गरीब लोगों के खाने योग्य गेहूं में मिट्टी की मिलावट का यह कृत्य आपराधिक तो है ही, साथ ही मानवीय पहलू से देखें तो घृणित कृत्य भी है। कमाई के लालच में लोग गरीब लोगों का निवाले में मिलावट करने लगे हैं। ऐसे गरीब लोग जिन्हें दो वक्त की रोटी के लिए संघर्ष करना पड़ता, उनके ही खाने में ठेकेदार और सम्पन्न वर्ग के व्यक्ति मिलावट जैसा घिनौना अपराध कर रहे हैं। इस मिलावट योग्य गेहूं खाने से व्यक्ति की मौत हो सकती है। गंभीर बीमारियों से आदमी ग्रस्त हो सकता है। खासकर महिलाओं व बच्चों पर इसका गंभीर प्रभाव पड़ सकता है। फिर भी लोग थोड़े से लालच में मिलावट जैसा गंभीर कृत्य कर रहे हैं। इस तरह के मामले आए दिन पकड़े जा रहे हैं। कभी खाने के तेलों में मिलावट पकड़ी जा रही है तो कभी मसालों में। दूध, घी, मिठाई जैसे आवश्यक उत्पाद में लोग पानी व यूरिया मिलाकर बेच रहे हैं। जो स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा है। मिलावट के इन मामलों को देखते हुए संसद में कानून में नए प्रावधान किए हैं, जिसमें मिलावट करने वालों के खिलाफ सजा व जुर्माने के कठोर प्रावधान किए गए हैं।
सुप्रीम कोर्ट भी मिलावट को सबसे घृणितम अपराध बताते हुए केन्द्र व राज्य सरकारों को आरोपियों के खिलाफ कठोरतम कार्यवाही के निर्देश दे रखे हैं। इसके बावजूद मिलावट थम नहीं रही है। देश और प्रदेश में रोज मिलावट के मामले पकड़े जा रहे हैं। मिलावटी मामलों को देखने से लगता है कि इस कृत्य में लिप्त लोगों को कानून का डर नहीं है और ना ही मानवता है। ऐसे लोगों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्यवाही से ही रोका जा सकता है। सरकार त्यौहार पर तो विशेष अभियान चलाकर मिलावटखोरों पर कार्यवाही करती है, लेकिन वह अपर्याप्त है। ऐसे अभियान रोज ही चलने चाहिए, साथ ही मिलावटी सामान की जांच त्वरित होनी चाहिए। जांच में दोषी मिलावटखोरों पर त्वरित कानूनी कार्यवाही करवाते हुए सजा दिलवाई जानी चाहिए, तभी मिलावट और मिलावट खोरों पर अकुंश लग सकेगा।