जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने प्रमुख परिवहन आयुक्त, संयुक्त परिवहन सचिव और आरटीओ जयपुर को नोटिस जारी कर पूछा है कि भारी वाहनों से वार्षिक की जगह एक मुश्त कर लेने का प्रावधान क्यों किया गया है। इसके साथ ही अदालत ने याचिकाकर्ता को पुरानी व्यवस्था के तहत ही कर जमा कराने को कहा है।
न्यायाधीश केएस झवेरी और न्यायाधीश वीके व्यास की खंडपीठ ने यह आदेश दिलीप कुमार की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए। याचिका में अधिवक्ता प्रेमचंद देवन्दा ने अदालत को बताया कि परिवहन विभाग ने मार्च 2017 में एक अधिसूचना जारी कर तीन हजार किलोग्राम से अधिक भारी वाहन और 16 हजार किलोग्राम सकल भार वाले वाहनों से वार्षिक की जगह एक मुश्त कर वसूलने का प्रावधान किया। इस अधिसूचना को एक अप्रैल 2007 के बाद वाले वाहनों पर लागू किया गया।
वहीं यह भी प्रावधान किया गया कि एक मुश्त कर वाहन की कीमत का पचास फीसदी से अधिक नहीं होगा। याचिका में अधिसूचना को चुनौती देते हुए कहा गया कि यह अधिसूचना सरकार ने जनहित के नाम पर अपना खजाना भरने के लिए जारी की है। इसके अलावा कर की गणना तय नहीं होने के चलते भ्रष्टाचार को भी बढ़ावा मिलेगा। याचिका में गुहार की गई है कि अधिसूचना को अवैध घोषित कर रद्द किया जाए। जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी करते हुए याचिकाकर्ता को पुरानी व्यवस्था के तहत कर जमा कराने को कहा है।