High Court responds to clean sweeper's job

जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने रेरा अधिनियम 2016 के तहत एक साल के भीतर स्थाई नियामक प्राधिकरण और अपीलीय अधिकरण नहीं बनाने पर राज्य सरकार से जवाब तलब किया है। इसके साथ ही अदालत ने मामले की सुनवाई 23 जुलाई तक टालते हुए कहा है कि इस दौरान रेरा के तहत प्राधिकरण व अपीलीय अधिकरण की ओर से दिए आदेश याचिका के निर्णयाधीन रहेंगे। न्यायाधीश मनीष भंडारी व न्यायाधीश डीसी सोमानी ने यह आदेश क्रेडाई एनसीआर भिवाडी नीमराणा सोसायटी की ओर से दायर याचिका पर दिए।

याचिका में कहा गया कि रेरा अधिनियम के तहत इसके लागू होने के एक साल के भीतर राज्य सरकार को नियामक प्राधिकरण का गठन करना था। यह अवधि एक मई 2017 को पूरी हो चुकी है। इस एक साल के लिए प्राधिकरण को काम चलाऊ व्यवस्था के तहत चलाया जा सकता था, लेकिन राज्य सरकार ने अब तक इस मामले में कोई प्रयास नहीं किया है। प्राधिकरण में अध्यक्ष तथा कम से कम दो पूर्णकालिक सदस्य नियुक्त होने चाहिए। केवल पीठासीन अधिकारी प्राधिकरण नहीं हो सकता है।

इसी तरह खाद्य सुरक्षा अपीलीय अधिकरण को रेरा के का अपीलीय अधिकरण घोषित किया गया है। यह भी रेरा की धारा 45 के विपरीत है। अधिकरण में अध्यक्ष के साथ दो सदस्य होना जरूरी है। जिनमें से एक न्यायिक व एक तकनीकी सदस्य हो। अधिकरण का अध्यक्ष केवल उच्च न्यायालय का वर्तमान या पूर्व न्यायाधीश ही हो सकता है।

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