
नई दिल्ली। बाड़मेर के युवा व्यवसायी आजाद सिंह राठौड़ को आरसीए के चुनावों में ललित मोदी के समथज़्कों से

उलझना भारी पड़ गया। वसुंधरा राजे के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने आधी रात को बाडमेर कलेक्टर से पुलिस थाने में एक पुराने प्रकरण में मुकदमा दजज़् करा दिया। युवा लेखक और व्यवसायी आजाद सिंह को सरकार के इशारे पर पुलिस ने गिरफ्तार करने की तैयारी कर ली है। दरअसल आबिज़्ट्रेशन के फैसले पर आजाद सिंह राठौड़ के आरसीए का कोषाध्यक्ष बनना सरकार और ललित मोदी को नागवार गुजरा। सरकार ने अपने पूरे प्रशासन को आजाद सिंह की जन्म पत्री तैयार करने में लगा दिया गया। फ़ाइलें खंगाली गई। थानों में आपराधिक रिकॉडज़् ढूंढा गया, लेकिन कुछ हाथ नहीं लगा। तब सीएमओ के निदेज़्श पर वहां कलेक्टर आफिस के पास बाड़मेर क्लब ने 9 साल की लीज पर आजाद सिंह को कुछ वषोज़्ं पूवज़् किराए पर दी गई ज़मीन को लेकर कलेक्टर ने मुकदमा दजज़् कराया। सब जानते है कि सरकार की निगाह टेढ़ी होने पर मीनमेख निकाल कर कैसे सलटाया जाता हैं।
बाड़मेर क्लब के अध्यक्ष खुद वहां के कलेक्टर ही है। अचानक कायज़्वाही क्यों ? वजह सब समझते हैं। लीज वाली जमीन


मतलब भाजपा में रहने पर दिक्कत, कांग्रेस से राजनीति करने पर दिक्कत ? जाट से दूर रहें तो बहाना, साथ रहे तो उलाहना! राजस्थान सदैव ही सामाजिक समरसता वाला प्रदेश रहा है। यहां कभी भी छोटे मन के लोग नहीं रहे हैं। वसुंधरा राजे सरकार सारी परंपराओं को तोडकर राजस्थान में जो जाति विशेष के खिलाफ दुभाज़्वना से प्रेरित होकर बदले की भावना से कारज़्वाई कर रही है, उसका नतीजा गंभीर होगा। न खाऊंगा और न खाने दूंगा, के जुमले बोलने वाले नरेंद्र मोदी जी आंखें मूंद कर सब खामोशी से देख रहे हैं। वो भी इस अपराध के लिए उतने ही दोषी है। वसुंधरा राजे जी पानी सर से निकल रहा है। आजाद सिंह हो या फिर गजेन्द्र सिंह जी। जो दोषी हो, उसे आप भले ही फांसी पर लटका दो, लेकिन पहले आप खुद का दामन तो साफ हो।?मोहतरमा एक तरफ तो आप की नाक के नीचे बिना लिए दिए कुछ भी काम नहीं हो रहा है, दूसरी तरफ आप गडे मुदेज़् उखाड़ कर राजनीति करना चाह रहीं हों, यह मंजूर नहीं है। लाते सहन करने और अत्याचार देख रहे लोगों को भी समझना होगा, कि ऐसे आंखें बंद करने से कुछ होगा। क्या पता अगला नंबर आपका हो ? फैसला करना सीखों। लोकतंत्र में वोट की चोट ही सबसे बड़ा हथियार है। मन में ठान लो। स्वाभिमान से बढ़कर कुछ नहीं है। दल विशेष की गुलामी छोड़ो। झटका देना सीखों, वरना गुमनामी के अंधेरे में धकेल दिए जाओगे।
आपको बता दें कि यह रिपोर्ट वरिष्ठ पत्रकार श्रवण सिंह राठौड़ की है, जो करीब डेढ़ दशक से भी अधिक समय से दैनिक भास्कर, राजस्थान पत्रिका जयपुर व दिल्ली में अपनी सेवाएं दे चुके हैं। हाल ही में राठौड़ ने मातृ-पितृ सेवा के लिए दैनिक भास्कर दिल्ली कार्यालय से इस्तीफा दिया है। मूलतया राजस्थान के जालौर निवासी राठौड़ हमारा अभियान, जिंदा रहे स्वाभिमान ध्येय के साथ आज भी सरकार-प्रशासन के जनविरोधी फैसलों और नीतियों पर अपनी पैनी निगाहें रखते हुए अपनी कलम से सटीक टिप्पणी करने से नहीं चूकते हैं। यहीं एक पत्रकार का स”ाा धर्म है, जो श्रवण सिंह राठौड़ बखूबी निभा भी रहे हैं।