जयपुर. राजस्थान स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय (आरयूएचएस) के दीक्षांत समारोह में बुधवार को सीएम अशोक गहलोत के निशाने पर नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया रहे। ओपीएस और राइट टू हेल्थ बिल को लेकर पनगढ़िया के लिखे आर्टिकल का जिक्र करते हुए कहा कि- क्यों ऐसा लिखा मुझे पता नहीं शायद उनका कोई काम नहीं हुआ होगा। लेकिन, मैं इतना कहना चाहूंगा कि मैं ओपीएस और आरटीएच को कामयाब करके दिखाऊंगा। दरअसल, बिड़ला सभागार में हुए 8वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए गहलोत ने कहा कि हमारी सरकार ने आरटीएच और ओपीएस योजना बड़े साेच-समझकर पेश की है। लेकिन मुझे दुख होता है कि उन्होंने (पनगढ़िया ने) ओपीएस और राइट टू हेल्थ के खिलाफ आर्टिकल है। यही नहीं गहलोत ने के निशाने पर नेशनल मेडिकल कमीशन और केन्द्र सरकार भी रही। उन्होंने कहा नेशनल मेडिकल कमीशन के नॉर्म इतने कड़े है कि जब राजस्थान के परिपेक्ष में देखता हूं तो बहुत शर्म आती है। उदयपुर में आपकी टीम आ रही है तो आपको सब कुछ अच्छा दिखाने के लिए डॉक्टर्स की टीम वहां भेजनी पड़ती है। जब बीकानेर पहुंचती है तो फिर वहां भी सब कुछ ठीक दिखाने के लिए डॉक्टर्स की टीम भेजनी पड़ती है, लेकिन सच्चाई ये है कि वहां ठीक कुछ नहीं चल रहा। आज डॉक्टर्स, स्पेशलिस्ट की कमी है सब जानते है, लेकिन आपके नॉर्म पूरा करने और बताने के लिए। मुझे खुद को शर्म आती है कि हमे यानी सरकार को ये काम करना पड़ रहा है। इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के अलावा राज्यपाल कलराज मिश्र, हेल्थ मिनिस्टर परसादी लाल मीणा के अलावा आरयूएचएस के वीसी समेत कई अधिकारी और डॉक्टर्स मौजूद रहे। गहलोत ने सरकार की योजनाओं की जानकारी आमजन तक नहीं पहुंचने की बात का भी जिक्र किया। उन्होंने बताया कि जब मैं पहली बार मुख्यमंत्री बना तब मुख्यमंत्री बीपीएल जीवन रक्षा कोष बनाया। तब मैंने उस योजना का खूब प्रचार किया। क्योंकि उस समय इस योजना में इलाज की कोई लिमिट नहीं थी। लेकिन मुझे तब बड़ा दुख हुआ जब में चुनाव के समय प्रचार के लिए गया और वहां लोगों से पूछा तो उन्हें योजना के बारे में पता ही नहीं था। वहां मौजूद 3-4 हजार लोग में से 50-80 लोग ही हाथ खड़े कर सके। मुझे दुख होता है कि उस समय इस योजना का फायदा लोग नहीं उठा सके। मुख्यमंत्री से पहले हेल्थ मिनिस्टर परसादी लाल मीणा ने कार्यक्रम को संबोधित किया और उन्होंने आरटीएच बिल का विरोध करने वालों को रामायण के किस्से के जरिए चिकित्सा धर्म याद दिलाया। उन्होंने कहा कि आज जो यहां से डॉक्टर बनकर जा रहे है उनको अपना चिकित्सक धर्म याद रखना चाहिए। किसी के प्राण बचाना ही आपका सबसे बड़ा धर्म है। उन्होंने रामायण में लक्ष्मण जी के घायल होने की घटना का जिक्र करते हुए कहा कि जब लक्ष्मण जी के चोट लगी थी तब सुषेण वैद्य ने रामजी को लक्ष्मण जी का इलाज करने से मना कर दिया था। तब रामजी ने भी एक ही बात कही थी कि अगर तुम्हारा चिकित्सक धर्म कहता है कि तुझे इलाज करना चाहिए तो ही इलाज करें वरना आप चले जाए। तब सुषेण वैद्य ने अपने चिकित्सक धर्म को पहचाना और लक्ष्मण जी का इलाज किया। उन्होंने कहा आज भी डॉक्टर को इस बात का ध्यान रखना चाहिए। आज पैसा सब कुछ नहीं है पैसा कमाना हमारा पेश नहीं है।
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