नयी दिल्ली । प्रदूषण का स्तर आपात स्थिति में पहुंचने के दौरान निर्माण गतिविधि पर प्रतिबंध से प्रवासी मजदूरों को काफी झटका लगा क्योंकि ठेकेदारों ने उन्हें मेहनताना देने से मना कर दिया । दिल्ली सरकार ने उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त निगरानी संस्था ईपीसीए को इस बारे में अवगत कराया है । पर्यावरण प्रदूषण (निवारण एवं नियंत्रण) प्राधिकरण (ईपीसीए) ने अब मामले की समीक्षा और समाधान करने का फैसला किया है जिसकी वजह से कई श्रमिकों को छुट्टी पर जाना पड़ा और काम की तलाश में शहर आने वाले हजारों लोगों की आजीविका प्रभावित हुयी । ईपीसीए के अध्यक्ष भूरेलाल और सदस्य सुनीता नारायण ने जोर देकर कहा है कि प्रतिबंध की अवधि के दौरान ठेकेदारों को श्रमिकों का वेतन देना होगा । लेकिन, दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) राज्यों के अधिकारियों ने ईपीसीए के साथ हालिया बैठक में उल्लेख किया कि कामगारों को सवैतनिक छुट्टी की सुरक्षा प्रदान करने वाले किसी कानून की गैरमौजूदगी में इसे लागू करना असंभव है ।
इस महीने प्रदूषण की स्थिति आपात स्तर पर पहुंच जाने के दौरान दिल्ली के उपराज्यपाल ने निर्माण पर रोक लगाने के लिए ईपीसीए की सिफारिशों को मंजूरी दी थी । ग्रेडेड रेस्पांस एक्शन प्लान (जीआरएपी) के तहत इन कवायदों का जिक्र है। बहरहाल, ईपीसीए ने एक बार फिर मौसम विभाग से कम से कम एक हफ्ते के लिए प्रदूषण का पुर्वानुमान व्यक्त करने के लिए प्रणाली बनाने का अनुरोध करते हुए कहा है कि दो दिन के अनुमान से सम-विषम व्यवस्था या ट्रकों के प्रवेश पर प्रतिबंध जैसी कवायद लागू करना कठिन हो जाता है। ईपीसीए ने चीन में बीजिंग जैसे शहरों का उल्लेख किया जहां प्रदूषण पूर्वानुमान कम से कम 15 दिनों के लिए उपलब्ध कराया जाता है ।