उदयपुर। विश्व शांति, भारतवर्ष की सुख-समृद्धि-शक्ति, सामाजिक समरसता की कामना से झीलों के शहर उदयपुर में रविवार से सर्वकामना सिद्धिदात्री मां बगलामुखी की आराधना का मंत्र ‘ॐ ह्लीं नमः’ गूंजेगा। नवरात्रि स्थापना के साथ ही 54 कुण्डीय महायज्ञ में बड़ी संख्या में आराधक पूरी नवरात्रि में मां बगलामुखी की साधना करेंगे। यज्ञ की पूर्णाहुति विजयदशमी पर 24 अक्टूबर को अपराजिता व शमी के विशेष पूजन के साथ होगी। पूर्णाहुति में काशी सुमेरू पीठ के जगदगुरु शंकराचार्य नरेन्द्रानंद सरस्वती का सान्निध्य रहेगा। विश्व में पहली बार हो रहे इस तरह के अनुष्ठान के लिए तैयारियां अंतिम चरण में हैं। सर्व समाज सनातनी चातुर्मास समिति के कार्यकर्ता दिन-रात इसकी व्यवस्थाओं में जुटे हैं। सर्व समाज सनातनी चातुर्मास समिति के सचिव महेश चाष्टा ने बताया कि बलीचा स्थित बड़बड़ेश्वर महादेव परिसर में मढ़ी मन मुकुंद दिगम्बर खुशाल भारती महाराज के सान्निध्य में चल रहे सनातनी चातुर्मास में मां बगलामुखी की आराधना के महाअनुष्ठान का क्रम शनिवार से शुरू हो जाएगा। नवरात्रि के 9 दिन तक जो भी जजमान इस महानुष्ठान में नियमित आहुतियां देने वाले हैं, उनका दशविधि स्नान शनिवार को होगा। यज्ञ में बैठने वाले श्रद्धालुओं को उपवास रखना होगा, ब्रह्मचर्य का पालन करना होगा और शेविंग-साबुन आदि से दूर रहना होगा। कोलाचार्य माई बाबा के सान्निध्य में काशी से पधारे कालीचरण, स्थानीय आचार्य रजनीकांत आमेटा व 135 ब्राह्मणों के शास्त्रोक्त दिशा-निर्देशन में महायज्ञ किया जाएगा। इस महानुष्ठान के सम्बंध में कोलाचार्य माई बाबा ने बताया कि इस तरह का आयोजन पहली बार हो रहा है और यह उदयपुर का सौभाग्य है कि यह अनुष्ठान यहां पर तय हुआ है। इस महानुष्ठान में नौ अंक का महत्व सभी को दृष्टिगोचर होगा। कुण्ड 54 है जिनका जोड़ 9 है, नवरात्रि के दिन भी 9 हैं और विशेष बात यह है कि 9 दिन में ही सप्तद्वीप यज्ञमण्डप का निर्माण हुआ है। इस महायज्ञ में लाल मिर्च, नमक, हल्दी सहित 108 प्रकार की जड़ी-बूटियों व अन्य सामग्री के मिश्रण की आहुति दी जाएगी, 108 के अंक का जोड़ भी 9 है। महायज्ञ में मां बगलामुखी सहित विभिन्न देवी-देवताओं के आह्वान के लिए 5 लाख 40 हजार आहुतियां दी जाएंगी। आहुतियों के अंक का जोड़ भी 9 है। भारतीय सनातन शास्त्रों में 9 को पूर्णांक कहा गया है। कोलाचार्य ने बताया कि सप्तद्वीप यज्ञमण्डप के पीछे अवधारणा यह है कि प्राचीन भारत सप्तद्वीपों से घिरा हुआ था। कोलाचार्य ने बताया कि महायज्ञ के लिए 6 प्रकार के कुण्ड बनाए गए हैं। हर प्रकार के 9 कुण्ड बनाए गए हैं। इनमें चतुष्कुण्ड, त्रिकोण कुण्ड, योनिकुण्ड, अर्द्धचंद्र कुण्ड, षटकोण कुण्ड व अष्टदल कमल कुण्ड शामिल है। हर प्रकार के कुण्ड का महत्व अलग है। उन्होंने कहा कि मां बगलामुखी की आराधना गुरु के सान्निध्य में ही करनी चाहिए। मीडिया संयोजक मनोज जोशी ने बताया कि महायज्ञ अनुष्ठान से पूर्व कलश यात्रा का आयोजन होगा। सुबह 7 बजे कलश यात्रा निकाली जाएगी। कलश यात्रा गोवर्धन सागर से यज्ञ स्थल तक होगी। सुबह 8 बजे से दोपहर 2 बजे तक महायज्ञ होगा। इस दौरान श्रद्धालु महिलाएं यज्ञमण्डप की परिक्रमा कर सकेंगी। यज्ञमण्डप की परिक्रमा का भी महत्व है। यज्ञ के बाद दोपहर 2 बजे से शाम 5 बजे तक देवी भागवत पुराण कथा होगी। यह कथा आचार्य कमल किशोर बनारस वाले करेंगे। इस कथा के मुख्य जजमान राम सिंह खेतावत (अहमदाबाद) होंगे। व्यवस्था प्रमुख हिमांशु बंसल ने बताया कि इस महायज्ञ अनुष्ठान में काशी सुमेरू पीठ के जगदगुरु शंकराचार्य नरेन्द्रानंद सरस्वती का सान्निध्य रहेगा। वे 22 अक्टूबर सायंकाल उदयपुर पधारेंगे। अगले दो दिन 23 व 24 अक्टूबर को वे यज्ञशाला में आशीर्वाद प्रदान करेंगे। 24 अक्टूबर को पूर्णाहुति उनके सान्निध्य में होगी।