जयपुर। जिस देश में ‘जय जवान, जय किसानÓ का नारा दिया जाता हो, वहां जवान मर रहा है और किसान रो रहा है। किसानों की ना तो राम सुन रहा और ना ही राज से उन्हें आस है। जयपुर में विशाल स्तर पर ग्लोबल एग्रीटेक मीट का आयोजन किया जा रहा है। इसमें किसानों के लिए पशुपालन जाजम, कृषि जाजम सहित कई चौपालों का आयोजन किया जा रहा है। इन जाजमों में अधिकारी कुर्सियों की शोभा बढ़ा रहे हैं और दूसरे विभाग के मंत्री इनमें जवाब दे रहे हैं। मसलन-कृषि जाजम में परिवहन मंत्री यूनुस खान किसानों के जवाब दे रहे थे तो पशुपालन जाजम में चिकित्सा मंत्री राजेन्द्र राठौड़। खास बात यह है कि इन जाजमों में अधिकारी अपने विभागों की योजनाएं और उपलब्धियों के बारे में ही बता रहे हैं। किसान जब इनसे अपनी समस्या का समाधान पूछता है तो पहले तो उसे टरकाने की कोशिश की जाती है, लेकिन, जब वह नहीं मानता तो उसके सवाल को सुनकर लिख लिया जाता है और कुछ देर में जवाब देने की बात कहकर टरकाया जा रहा है। चाहे अधिकारी हों या मंत्री सभी सरकार की उपलब्धियों का ही बखान कर रहे हैं। इतने बड़े आयोजन में ऐसे चोपालों में कृषि विशेषज्ञों और प्रगतिशील किसानों को बैठाना चाहिए था, जो किसानों को सही जवाब दे सके, लेकिन मोर्चा मंत्रियों ने संभाल रखा था, वो भी दूसरे विभागों के और जिन्हें किसान-खेती का ज्ञान भी नहीं है। गुरुवार को जब एग्रीटेक मीट में जनप्रहरी एक्सप्रेस का जायजा लिया तो ये नजारे दिखे। मीट के दौरान कृषि जाजम में राज्य के विभिन्न हिस्सों से आए किसान बैठे हुए थे। मंच पर कृषि अधिकारी कुर्सियों पर बैठे थे। वे बारी-बारी से विभाग की ओर से किसानों के लिए चलाई जा रहीं योजनाओं और सरकार की उपलब्धि के बारे में उनको बता रहे थे। कुछ देर बाद एक दो किसानों ने कहा कि हमें हमारी समस्या का समाधान चाहिए। इस पर अधिकारियों ने उन्हें बोलने का मौका दिया। एक के बाद एक किसान कृषि अधिकारियों को अपनी समस्या बताने लगा। उनकी समस्या सुनकर कृषि अधिकारी एक-दूसरे का मुंह ताकने लगे। इस पर स्थिति बिगड़ती देख मौके पर उपस्थित परिवहन मंत्री यूनुस खान ने मंच की बागडोर संभाली और उन्होंने एक-एक कर किसान को अपनी समस्याएं बताने को कहा।
पोकरण (जैसलमेर) से आए किसान इन्दर ने मंत्री यूनुस खान को बताया कि हमारे यहां पानी बहुत नीचे है। इसलिए हमें सिंचाई करने में परेशानी आती है। हमें बोरिंग खुदवाने की अनुमति दी जाए और सिंगल फेज विद्युत कनेक्शन देने की बात कही। इस पर मंत्री ने उनको कहा कि अब आप बैठ जाइए और दूसरे किसान को समस्या बताने को कहा। इस पर तिगरिया (चौमूं) से आए किसान दिनेश बागड़ा ने कहा कि उनके यहां टमाटर और मिर्ची बहुत होती है। लेकिन, हमारे यहां कोई भी कृषि प्रसंस्करण यूनिट नहीं है। मैंने यूनिट लगाने के लिए विभाग में फाइल लगाई थी, लेकिन, तीन साल बाद भी फाइल पेण्डिंग ही है। इस पर मंत्री ने इनको बैठ जाने और दूसरे किसान को समस्या बताने को कहा। फागी (जयपुर) से आए किसान सत्यनारायण गुर्जर ने बताया कि मेरे मोठ की फसल हुई है, लेकिन जिले में समर्थन मूल्य की दुकान नहीं होने से बेचने में दिक्कत आ रही है। इसके बाद बारी-बारी से हनुमानगढ़ से आए किसान लक्ष्मीनारायण, दौसा से आए किसान रामसिंह राजावत, बंूदी से आए कन्हैयालाल सहित नोहर, जोधपुर, गंगानगर से आए किसानों से सवाल किए। मंत्री ने सभी किसानों की की समस्याएं सुनकर उनको बिठा दिया। सवालों को लिख तो लिया, लेकिन जवाब किसी का नहीं दिया। यह कहते हुए चले गए कि इनका जवाब बाद में देंगे।

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