नई दिल्ली। देश के ख्यात शिक्षाविद और वैज्ञानिक प्रोफेसर यशपाल का मंगलवार को नोएडा में 90 वर्ष की आयु में निधन हो गया। पद्म विभूषण और पद्म भूषण सहित अनेकों पुरस्कारों से सम्मानित प्रोफेसर यशपाल योजना आयोग में मुख्य सलाहकार, सचिव साइंस और टैक्नालॉजी व यूजीसी चेयरमैन सरीखे महत्वपूर्ण पदों पर रहे। उनका जन्म 26 नवंबर, 1926 को पाकिस्तान के पंजाब प्रांत स्थित झांग में हुआ। जबकि परवरिश हरियाणा के कैथल में हुई।
प्रोफेसर यशपाल ने पंजाब यूनिवर्सिटी से 1949 में भौतिक विज्ञान में मास्टर्स डिग्री ली। 1958 में उन्होंने मैसेचुएट्स इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नॉलॉजी से भौतिक शास्त्र में ही पीएचडी की उपाधि हासिल की। प्रोफेसर यशपाल ने अपना करियर टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च से शुरू किया था। 1973 में सरकार ने प्रोफेसर यशपाल को स्पेस एप्लीकेशन सेंटर का पहला निदेशक नियुक्त किया। 1983-84 में वे प्लॉनिंग कमीशन के चीफ कंसल्टेंट भी रहे। जबकि यूजीसी चेयरमैन के तौर पर 1986 से -1991 तक रहे।
-शिक्षा में किए महत्वपूर्ण सुधार
1993 में भारत सरकार ने स्कूली बच्चों से संबंधित शिक्षा के मामले में ओबरबर्डन के मुद्दे पर कमेटी गठित की। जिसका अध्यक्ष प्रोफेसर यशपाल को ही बनाया गया। इस दौरान उन्होंने जो सुझाव दिए, वे देश में स्कूलों से जुड़े नन्हें बालकों के लिए कारगर साबित हुए। केन्द्र ने यशपाल कमेटी की सिफारिशों को लागू किया और पाठ्यक्रमों में संशोधन किया। ताकि बच्चे बिना बोझ के सहजता से और अधिक से अधिक सीख सके। वे 2007 से 2012 तक जेएनयू के चांसलर रहे तो दूरदर्शन पर आने वाले साइंटिफिक कार्यक्रम टर्निंग पाइंट को होस्ट भी करते थे। जिससे वे साधारण शब्दों में आम जनता तक अपनी बात पहुंचाने में कामयाब रहे तो यह कार्यक्रम खासा चर्चित भी रहा। केन्द्र सरकार ने वर्ष 1976 में उन्हें पद्मभूषण और 2013 में पद्मविभूषण से सम्मानित किया।