उदयपुर। कारखाना जरूर खोलिये आप, पर लोकल आदिवासियों का क्या। अपने और अपने बच्चों के भविष्य की चिंता को लेकर यह सवाल बुधवार को उदयपुर के जावरमाइंस में हुई जनसुनवाई में उठा। दरअसल, यह जनसुनवाई हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड द्वारा खनन विस्तार के तहत ग्रामीणों की सहमति को लेकर प्रशासनिक अधिकारियों की मौजूदगी में आयोजित की गई थी। स्थानीय निवासियों ने पूर्व में विस्तार के दौरान किए गए शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार आदि वादों का भी तकाजा किया और कहा कि उन वादों को भी हिन्दुस्तान जिंक भूल गया अब नए विस्तार के लिए और जमीन चाह रहा है, ऐसे में यहां रहने वाले आदिवासी समुदाय का भविष्य क्या होगा।
उदयपुर जिले के अंतर्गत दक्षिणी राजस्थान में स्थित में जस्ता खनन करने वाली हिंदुस्तान जिंक द्वारा जावर माइंस में खनन गतिविधि विस्तार के तहत राजस्थान राज्य प्रदूषण निंयत्रण बोर्ड द्वारा पर्यावरणीय स्वीकृति के लिए लोक सुनवाई आयोजित की गई। बैठक की अध्यक्षता अतिरिक्त जिला कलेक्टर ओपी बुनकर व पर्यावरण विभाग के अधिकारी ने की। इसमें आसपास की दर्जन भर पंचायतों के जनप्रतिनिधि और कुछ क्षेत्रवासी मौजूद थे।
जनसुनवाई के दौरान हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड के सीएसआर फंड से रिलेटेड गतिविधि में सम्मिलित कई लाभान्वित व हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड के कर्मचारी भी उपस्थित नजर आए। जनसुनवाई के दौरान क्षेत्र के विधायक, जिला परिषद सदस्य, पंचायत समिति सदस्य, सरपंच समेत कई जनप्रतिनिधियों व मौतबीरों ने भाग लिया।
जसुनवाई में शुरुआत में जब जिंक के विभिन्न प्रकल्पों से लाभान्वित लोगों को ही विचार रखने का मौका दिया जाना जारी रखा गया तब खुद एडीएम बुनकर ने लाभान्वितों से हटकर स्थानीय निवासियों को बुलाने की नसीहत दी। स्थानीय लोगों ने कहा कि माइनिंग की वजह से क्षेत्र में भूजल स्तर कम होता जा रहा है। कई ट्यूबवेल सूखने की कगार पर है। रात्रि के समय लगातार हो रही माइनिंग से कई लोग मानसिक बीमारियों से भी पीड़ित हैं। कई क्षेत्रों में मकानों में दरारें पड़ गई हैं। वर्तमान सरपंच ने नई माइंस के लगाने पर खुशी जाहिर करते हुए क्षेत्र के विकास के लिए इसे अहम तो बताया, लेकिन यह भी कहा कि हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड प्रशासन जनप्रतिनिधियों और सरपंचों की राय के आधार पर लोगों को समय पर रोजगार उपलब्ध कराने का वादा करना ही होगा। एडीएम बुनकर ने स्थानीय लोगों को 14 जनवरी तक अपनी आपत्तियां उन्हें जमा कराने को कहा है।