जयपुर। शहर के आमेर थाना इलाके में 16 फरवरी, 2०15 को बलात्कार से पीड़ित साढ़े 18 वर्षीय युवती के आत्मदाह करने के मामले में महिला उत्पीड़न मामलों की विश्ोष अदालत क्रम-एक में जज रेखा राठौड़ ने बुधवार को अभियुक्त सगे जीजा छोटू राम मीणा (29) निवासी चंदवाजी को 1० साल के कठोर कारावास एवं 2 लाख रुपए के जुर्माने की सजा से दण्डित किया।
इस मामले में पीड़िता की मां सहित अन्य परिजन अदालत में पक्षद्रोही घोषित हो गए, लेकिन कोर्ट ने युवती के मृत्युपूर्व न्यायिक मजिस्ट्रेट को दिए गए बयान एवं पुलिस को दिए गए पर्चा बयान के आधार पर अभियुक्त को भारतीय दण्ड संहिता की धारा 376 (2)(एफ) निकटतम रिश्तेदार द्बारा दुष्कर्म एवं धारा 3०6 आत्महत्या के लिए मजबूर करना के अपराध का दोषी मानते हुए सजा सुनाई।
घटना के समय पीड़ित युवती 4०-45 दिन की गर्भवती भी थी। घटना की जानकारी युवती ने मां व बड़ी बहन को दे दी थी। मां चांदी देवी मीणा ने पुलिस में बहिन के एवं बच्चे बर्बाद हो जाएंगे कह कर केस नहीं करने दिया। परिजनों ने लड़ाई-झगड़ा किया, लेकिन सहायता नहीं की। दुष्कर्मी जीजा ने भी कोई ख्ौर खबर नहीं ली। मजबूरन होकर उसे आत्महत्या करनी पड़ी। सवाई मानसिंह अस्पताल में बर्न वार्ड में दिए गए पर्चे बयान के आधार पर आमेर थाना पुलिस ने 17 फरवरी, 2०15 को एफआईआर दर्ज की कि दो साल पहले बड़ी बहन के बच्चा होने पर वह जीजा के घर रही थी। वहां अभियुक्त ने दुष्कर्म किया। घटना के डेढè माह पहले तिल चौथ के व्रत के दिन जीजा घर आया। घर में अकेली थी। दो बार दुष्कर्म किया। बदनामी का भय दिखाकर डरा दिया। माहवारी नहीं आने पर मां ने पूछा तो उसने घटना की जानकारी दे दी। परिजनों की उपेक्षा से मानसिक रूप से परेशान होकर 16 फरवरी, 2०15 को कैरोसिन डालकर आग लगा ली। 7० प्रतिशत जल गई। दो दिन बाद अस्पताल में मौत हो गई।
युवती की मां ने भी उसका साथ नहीं दिया
कोर्ट ने आदेश में कहा कि युवती की मां ने भी उसका साथ नहींे दिया। उसे चुप रहने की सलाह दी गई। पर्चा बयान में युवती का दर्द साफ झलकता है। युवती बुरे चरित्र की होती तो उसे मरने की जरूरत नहीं थी। जीजा ने बदनामी का डर दिखाकर दो बार घटना कारित की। नाते-रिश्तेदार सुरक्षा के लिए होते हैं। यदि बाड ही ख्ोत को खाएगी तो ख्ोत बचने की गुहार किससे लगाएगी।